अनुसूचित जाति के महेन्द्र गिरि बने जगतगुरु, स्वामी यतीन्द्रानन्द ने फैसले का किया स्वागत

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हरिद्वार, 30 अप्रैल (हि.स.)। श्री पंचदश नाम जूना अखाड़े के वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी यतीन्द्रानन्द गिरि महाराज ने कहा कि श्री पंचदश नाम जूना अखाड़े द्वारा अनुसूचित जाति से प्रयागराज में महेन्द्र आनन्द गिरि को जगतगुरु बनाने पर संत समाज इस निर्णय का स्वागत करता है। साथ ही कहा कि इससे पूर्व भी अनेक अनुसूचित जातियों के बन्धुओं को महामंडलेश्वर की उपाधि से विभूषित किया जा चुका है। दस नाम सन्यास परंपरा जाति के आधार पर भेदभाव को नहीं मानती है।





यतीन्द्रानन्द ने कहा कि हरि का भजे सो हरी का होय। जाति के आधार पर समाज को बांटने की परंपरा सनातन परंपरा नहीं है। मुगल काल और अंग्रेजों ने हिंदू धर्म को कमजोर करने के लिए हिंदू धर्म को जातियों में विभाजित किया। अब समय आ गया है की जाति रहित समाज की स्थापना सनातन धर्म में होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि श्री पंचदश नाम जूना अखाड़े ने इससे पूर्व भी लंबे समय से अपेक्षित और उपहास का पात्र बने किन्नर समाज को मान सम्मान देकर समाज में प्रतिष्ठित किया है। आज अनेक किन्नर समाज के लोग दसनामी सन्यासी हैं तथा महामंडलेश्वर जैसे वरिष्ठ पद को प्राप्त धर्म उपदेश कर रहे हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/ रजनीकांत/चंद्र प्रकाश