मीरजापुर, 15 अप्रैल (हि.स.)। विंध्याचल अष्टभुजा पहाड़ी की गोद में बसा भैरव कुंड सदियों से तंत्र साधना का स्थल रहा है। अघोर साधना का केंद्र होने के कारण भैरवी उपासक यहां आते हैं। यहीं पर मां काली का मंदिर है। वहीं श्रीयंत्र व भगवान शिव का भी मंदिर है। मां शक्ति स्वरूपा योगिनी के साथ सूर्य, गणेश की मूर्ति भी प्रतिष्ठित है। नीचले भाग में अघोर आश्रम है।

गौरतलब है कि बलि पूजा एवं पंचमकार साधना यहां की जाती है। तांत्रिक यहीं पर तंत्र साधना करते हैं। पहाड़ी की तलहटी में लगभग पांच सौ फीट नीचे स्थित इस स्थल पर आने के बाद हर कोई अपना सुध बुध खो बैठता है। नवरात्र भर देशभर से तांत्रिक इसी स्थल पर जुटते हैं। मां विंध्यवासिनी, अष्टभुजा व मां काली के दर्शन के बाद भक्त यहां आना नहीं भूलते। यंत्र पूजा करने के बाद ही वापस लौटते हैं।

मान्यता है कि भैरव कुंड के पास एक गुफा में अघोरेश्वर रहते थे। गुफा के भीतर भक्तों, श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ अघोरेश्वर की चरण पादुका एक चट्टान में जड़ दी गई है। यहां कई साधक आकर नाना प्रकार की साधनाएं करते और अघोरेश्वर की कृपा से सिद्धि प्राप्त करते हैं। विंध्य पर्वत पर अनेक गुफाएं हैं, जिनमें रहकर आज भी अनेक साधक साधना करते हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/गिरजा शंकर/राजेश