मऊ (उप्र) : उत्‍तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री ओमप्रकाश राजभर के नेतृत्व वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) से विद्रोह करने वाले पार्टी के पूर्व राष्‍ट्रीय उपाध्यक्ष महेंद्र राजभर ने मंगलवार को 'सुहेलदेव स्वाभिमान पार्टी' के नाम से नये दल की घोषणा की। महेंद्र राजभर को ही नये दल का राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष बनाया गया है।

गाजीपुर तिराहे पर स्थित एक प्लाजा में प्रशासन से 'महापंचायत' आयोजित करने की अनुमति न मिलने पर महेंद्र राजभर ने सड़क पर ही नई पार्टी 'सुहेलदेव स्वाभिमान पार्टी' के नाम का ऐलान किया।

सुभासपा प्रमुख ओमप्रकाश राजभर पर परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए महेंद्र राजभर ने पांच सितंबर को सुभासपा के राष्‍ट्रीय उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा देते हुए समर्थकों के साथ विद्रोह कर दिया था।

सोमवार को महेंद्र राजभर ने अपनी पुरानी पार्टी के कई पूर्व पदाधिकारियों के साथ बैठक के बाद यह कहा था कि मंगलवार को एक 'महापंचायत' में नई पार्टी की घोषणा की जाएगी।

महेंद्र समर्थकों के अनुसार गाजीपुर तिराहे पर स्थित एक प्लाजा में महापंचायत आयोजित होनी थी, लेकिन प्रशासन ने अनुमति नहीं दी और प्‍लाजा के गेट पर ताला लगवा दिया।

इसके बाद महेंद्र राजभर समर्थकों समेत कलेक्ट्रेट के धरना स्‍थल पहुंचे, जहां से पुलिस व पीएसी ने इन्‍हें हटा दिया। इस पर महेंद्र ने सड़क पर ही नई पार्टी बनाने की घोषणा की और इस दौरान महेंद्र समर्थक कार्यकर्ताओं ने ओमप्रकाश राजभर के खिलाफ जमकर नारेबाजी।

महेंद्र राजभर ने आरोप लगाया कि ओमप्रकाश राजभर के चलते उनको महापंचायत करने की अनुमति नहीं मिली। इस बीच जिला प्रशासन ने एहतियात के तौर पर बड़ी संख्‍या में पीएसी और पुलिस बल तैनात कर दिया।

वरिष्ठ नेता चंद्रशेखर राजभर समेत अन्‍य कई नेताओं ने आरोप लगाया कि ओमप्रकाश राजभर पार्टी के मूल सिद्धांतों से भटक गए हैं और उनके लिए परिवार महत्‍वपूर्ण हो गया है, वे कार्यकर्ताओं की नहीं बल्कि अपने दोनों बेटों की सुनते हैं।



उन्होंने राजभर पर टिकट बेचने का आरोप लगाया और दावा किया कि अब हम लोग महेंद्र राजभर के नेतृत्व में 'सुहेलदेव स्वाभिमान पार्टी' को मजबूत करेंगे।

मऊ विधानसभा क्षेत्र से 2017 में बाहुबली मुख्तार अंसारी के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन से सुभासपा के उम्मीदवार रहे महेंद्र राजभर सुभासपा की स्थापना काल से ही ओमप्रकाश राजभर से जुड़े थे। राजभर बिरादरी में महेंद्र राजभर का भी प्रभाव माना जाता है और मऊ जिले के अलावा आजमगढ़, बलिया, देवरिया और गाजीपुर आदि जिलों में भी वह बिरादरी में अपनी पहचान रखते हैं। गौरतलब है कि बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम के साथ सक्रिय रहे ओमप्रकाश राजभर ने 2002 में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी की स्थापना की और उसके बाद के चुनावों में अपने उम्मीदवार उतारे लेकिन उन्हें पहली बार 2017 में सफलता मिली।

राजभर ने 2017 में भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन से विधानसभा चुनाव लड़ा और उनके समेत सुभासपा के चार उम्मीदवार विधायक बने। राजभर तब योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व की सरकार में मंत्री भी बने, लेकिन दो साल के भीतर ही उन्‍होंने भाजपा से विद्रोह करते हुए मंत्री पद छोड़ दिया। 2022 के विधानसभा चुनाव में ओमप्रकाश राजभर ने समाजवादी पार्टी से गठबंधन कर चुनाव लड़ा और छह सीटों पर जीत हासिल की, लेकिन राष्ट्रपति चुनाव के दौरान राजभर ने सपा से अलग राह चलते हुए भारतीय जनता पार्टी से पुन: अपनी नजदीकी बढ़ा ली।

राजभर और उनके पुत्र व पार्टी के प्रमुख महासचिव अरविंद राजभर ने बीते दिनों मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ से मुलाकात की थी। ओमप्रकाश राजभर को राजभर बिरादरी का प्रभावी नेता माना जाता है। इस बिरादरी का वाराणसी, देवीपाटन, आजमगढ़, गोरखपुर, अयोध्‍या आदि मंडलों में खासा प्रभाव है और ओमप्रकाश राजभर इन मंडलों के जिलों में 18 से 20 फीसद अपनी बिरादरी की आबादी का दावा करते हैं।