शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने जारी किया सनातनियों के नाम सन्देश

Swami Avimukteshwaranand issued a message to Sanatanis

शंकराचार्य घाट पर सनातनी पंचांग व शंकराचार्य दिनदर्शिका का लोकार्पण



वाराणसी,09 अप्रैल (हि.स.)। विक्रम संवत् 2081 चैत्र शुक्ल प्रतिप्रदा नव संवत्सर(सनातनी नववर्ष) पर मंगलवार को शंकराचार्यघाट स्थित श्री विद्यामठ में ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती ने सनातनी पंचांग, शंकराचार्य दिनदर्शिका का लोकार्पण किया। इस अवसर पर सनातनी समाज को संदेश देते हुए शंकराचार्य ने कहा कि काल अनन्त है। उसकी कलना बस स्वयं को सन्तोष देना है। अपने सन्तोष के लिए हमने काल के काल्पनिक विभाजन किए हैं। इकाइयां बनाई हैं। हम गिनकर बताते हैं कि हम कितने पुराने हैं। हालाँकि हमारे दर्शन की दृष्टि में नवीनता और पुरातनता जैसी कोई वस्तु वास्तविक नहीं है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान संसार में अपने को पुरातन कहकर अपने को श्रेष्ठ संपादित करने वालों को हम बताना चाहते हैं कि यह संवत्सर जिसका आज शुभारम्भ हो रहा है वह वर्तमान सृष्टि के 1 अरब 95 करोड़ 58 लाख 85 हजार 126वां है। इतने दिनों से हम प्रतिदिन अपनी सन्ध्या और पूजा के संकल्प में कालगणना करते आ रहे हैं। दिन के हिसाब से गिनें तो 7 खरब 4 अरब 11 करोड़ 86 लाख 45 हजार दिन होते हैं। इतनी पुरानी सभ्यता और संस्कृति का दावा भी हमारा है और इतिहास भूगोल भी हमारा ही है। इतने पुराने को मिलने वाली हर नवीनता बहुत ही आकर्षक होती है इसीलिए हमारा नव वर्ष हमें अपार हर्ष प्रदान करता है। उन्होंने बताया कि इस संवत्सर का आरम्भ पिङ्गल नाम से होगा। 11 दिन बाद कालकृत आकर लगभग पूरे वर्ष रहेगा और अन्त में फाल्गुन मास की अमावस्या को सिद्धार्थ संवत् के रूप में परिवर्तित हो जाएगा । इस कालकृत संवत्सर को जो बार्हस्पत्य मान के अनुसार वर्तमान 60 संवत्सरों वाले चक्र में 52वां संवत्सर है। हमने इसे गौ संवत्सर के रूप में पहचानने और व्यवहार करने का आह्वान आप सबसे किया है। उद्देश्य है कि इसी संवत्सर में हम सनातनियों को एकजुट होकर गौ माता को राष्ट्र माता की पदवी पर बिठाते हुए उनकी हत्या को दण्डनीय अपराध की श्रेणी में लाने वाला कानून बनवाना है और स्वयं के स्तर पर रामा गाय की डीएनए टेस्ट के द्वारा पहचान सुस्थिर कर सम्मानपूर्ण संरक्षण संवर्धन पर ध्यान देना है।



—सुबह की शुरूआत भगवान सूर्य को जल देकर



शंकराचार्यघाट पर नव संवत्सर की शुरुआत वैदिक विद्यार्थियों ने मंगलाचरण से किया। जिसके अनन्तर श्रीकृष्ण कुमार तिवारी ने साथी बटुकों के साथ गणेश वन्दना की प्रस्तुति की। इसके पश्चात सुर्यार्घ्य दिया गया । वैदिक विद्यार्थियों ने सूर्य प्रणाम किया। इसके बाद ध्वजा पूजन, ध्वजारोहण, राष्ट्रगान, राष्ट्रनदी गंगा गान, पथ संचलन हुआ। महेंद्र प्रसन्ना और साथी कलाकारों ने शहनाई वादन किया। भजन के बाद राष्ट्रगीत के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।



हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/बृजनंदन