अनुच्छेद 370 के बहाने जम्मू-कश्मीर को विवादों में रखना चाहती है कांग्रेस !

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डॉ. मयंक चतुर्वेदी





कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की जम्मू-कश्मीर से जुड़े अनुच्छेद 370 पर की गई टिप्पणी के बाद लगता है कि कांग्रेस इस विषय को लेकर सदैव विवाद की स्थिति बनाए रखना चाहती है। जब सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाना वैध माना है, तब बार-बार इसे लेकर कांग्रेस क्यों बचकाने बयान दे रही है, जो विवाद का कारण बन रहे हैं।







देखा जाए तो यह भारत के आम नागरिकों के बीच विभेद पैदा करने वाला अनुच्छेद था, जिसे समाप्त किए जाने की मांग इसके लागू हुए समय से लगातार की जा रही थी। जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी से लेकर अनेक देशभक्तों ने इसकी समाप्ति के लिए अपना बलिदान किया है। यह बहुत ही दुखद है कि कांग्रेस किसी न किसी बहाने से तुष्टिकरण की राजनीति में लगी रहना चाहती है। कांग्रेस के कई नेताओं को लगता है कि भारत का मुसलमान 370 के पक्ष में है, ऐसे में यदि कांग्रेस भी यहां आर्टिकल 370 के बने रहने का समर्थन करती है तो उसे मुस्लिम तुष्टिकरण के तहत फायदा पहुंचेगा। जब 370 कश्मीर से हटाया गया था तब घाटी में फारुख अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और कई हुर्रियत नेताओं ने इसका विरोध किया था। लेकिन अब जब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने इस विषय को फिर से उठाया है, तब इससे साफ जाहिर है कि वह इस मुद्दे के बहाने मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति कर रहे हैं।







वस्तुत: नए विवाद की शुरुआत होती है कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा राजस्थान में दिए गए भाषण के दौरान यह कहने से कि 'जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने से क्या फर्क पड़ता है।' निश्चित ही कांग्रेस के अध्यक्ष का यह बयान संपूर्ण कांग्रेस की बौद्धिकता और संविधानिक योग्यताओं पर प्रश्न खड़े करता है। क्योंकि एक तरफ लोकसभा और विधानसभाओं में कांग्रेस के नेता संविधान और कानून पर लम्बे-लम्बे भाषण देते हैं और यह बताते हुए नहीं थकते कि किस नियम के हटने या जोड़ने से देश की जनता को लाभ कितना लाभ या हानि होती है। वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस जनता के बीच अनुच्छेद 370 को लेकर भ्रम पैदा करने का काम करती है।







कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे आज यह अच्छी तरह से समझें कि 'जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने से बहुत फर्क पड़ा है।' इस एक अर्टिकल 370 की समाप्ति के कारण से ही देश में अनेक बदलाव देखने को मिले हैं। जैसे कि अब जम्मू-कश्मीर में देश के अन्य राज्यों के लोग भी जमीन ले रहे हैं, जबकि इससे पहले नहीं ले सकते थे। भारत का कोई भी नागरिक अब जम्मू-कश्मीर राज्य में नौकरी भी कर सकता है, वहां स्थायी तौर पर निवास कर सकता है। इससे पहले तक सिर्फ स्थानीय लोगों को ही नौकरी का अधिकार था। अन्य राज्यों से जम्मू-कश्मीर जाकर रहने वाले लोगों को भी वहां मतदान करने का अधिकार मिल गया है। अब अन्य राज्यों के लोग भी यहां से चुनाव लड़ सकते हैं। जम्मू-कश्मीर व लद्दाख में भी सुप्रीम कोर्ट का हर फैसला लागू होगा। पहले जनहित में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले वहां लागू नहीं होते थे। क्या कांग्रेस को नहीं लगता कि यह सभी विषय देश भर के लोगों से जुड़े हुए हैं?





आज कश्मीर का अलग झंडा नहीं रहा, यहां तिरंगा शान से लहराता है। जम्मू-कश्मीर का अलग संविधान भी इतिहास बन गया है। जम्मू-कश्मीर में स्थानीय लोगों की दोहरी नागरिकता समाप्त हो गई है । आर्टिकल 370 की समाप्ति से सबसे बड़ी राहत महिलाओं पर पर्सनल कानून तभी बेअसर हो सका जब यह अनुच्छेद समाप्त हुआ। जम्मू-कश्मीर की लड़कियों को अब दूसरे राज्य के लोगों से भी शादी करने की स्वतंत्रता है। बहुतायत में जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख के लोग भी शिक्षा के अधिकार, सूचना के अधिकार जैसे भारत के हर कानून का लाभ उठा रहे हैं । केंद्र सरकार की कैग जैसी संस्था अब जम्मू-कश्मीर में भी भ्रष्टाचार पर नियंत्रण के लिए ऑडिट कर रही है, इससे यहां पर भ्रष्टाचार पर लगाम लगना शुरू हो गया है। आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद प्रधानमंत्री विकास पैकेज के अंतर्गत अभी तक हजारों कश्मीरी पंडित घाटी में वापस पहुंचे हैं। केंद्र सरकार के विकास पैकेज के माध्यम से लोगों को नौकरियां और रहने जैसी कई सुविधाएं दी जा रही हैं।







वास्तव में ''यह नरेन्द्र मोदी सरकार की दीर्घकालिक सोच का ही नतीजा है कि कश्मीर भी देश के साथ विकास की राह पर आगे बढ़ रहा है। चाइल्ड मैरिज एक्ट, शिक्षा का अधिकार और भूमि सुधार जैसे कानून अब यहां भी प्रभावी है। वाल्मीकि, दलित और गोरखा जो राज्य में दशकों से रह रहे हैं, उन्हें भी राज्य के अन्य निवासियों की तरह समान अधिकार मिल रहे हैं।" (एक देश, एक विधान, एक निशान का सपना साकार अमित शाह, केंद्रीय गृह मंत्री, संसद में बहस के दौरान दिया गया वक्तव्य, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार)।







प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब पिछले माह जम्मू-कश्मीर के प्रवास पर थे तब उन्होंने एक सभा में जो कहा, वही आज इस राज्य की सच्चाई है। उन्होंने कहा था, “अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद, कश्मीर में सभी के लिए समान अधिकार और समान अवसर हैं। जम्मू-कश्मीर आज विकास की नई ऊंचाइयों को छू रहा है क्योंकि वह खुलकर सांस ले रहा है।...दशकों तक, राजनीतिक लाभ के लिए, कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने 370 के नाम पर जम्मू-कश्मीर के लोगों को गुमराह किया और देश को गुमराह किया। जम्मू-कश्मीर के लोगों को अब यह सत्य पता चल गया है कि उन्हें गुमराह किया गया था। कुछ परिवारों के फायदे के लिए जम्मू-कश्मीर को जंजीरों में जकड़ कर रखा गया।...आज 370 नहीं है, इसलिए जम्मू-कश्मीर के युवाओं की प्रतिभा का पूरा सम्मान हो रहा है और उन्हें नए अवसर मिल रहे हैं। आज यहां सभी के लिए समान अधिकार और समान अवसर हैं।”







लोकसभा में गृह मंत्रालय ने बताया भी है कि कैसे अनुच्छेद 370 के हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं की संख्या में काफी कमी आई है। सड़कों का काम जो राज्य सरकारों के होने पर धीमी गति से हो रहा था अब उसमें तेजी साफ दिखाई देती है। बिजली गांवों तक पहुंच गई है। 370 हटने के बाद देश भर से वहां कंपनियां जा रही हैं, जिससे कश्मीरी लोगों के लिए रोजगार के अवसर बन रहे हैं। साथ ही वहां बन रहे प्रोडक्ट देश भर में और विदेशों में निर्यात किए जा रहा हैं। शिक्षा व्यवस्था में काफी सुधार हुआ है। टूरिस्ट, जिस पर पूरा कश्मीर टिका हुआ है, 370 हटने के बाद उसमें भी काफी बढ़ोतरी हुई है, न सिर्फ भारत के अलग-अलग राज्यों से लोग यहां घूमने आ रहे हैं, बल्कि आज दुनिया के कई देशों के लोग जम्मू-कश्मीर की प्राकृतिक सुंदरता को देखने आ रहे हैं।







कहना होगा कि केंद्र की मोदी सरकार के हाथों में जम्मू-कश्मीर राज्य की व्यवस्था आने के बाद से बहुत बड़े स्तर पर हर क्षेत्र में आज सुधार दिखाई देने लगा है और सुधार का यह क्रम निरंतर जारी है। इसलिए कांग्रेस भी समझे कि जम्मू-कश्मीर का विकास सिर्फ इस राज्य तक सीमित नहीं है, वह संपूर्ण देश के लिए विकास लेकर आता है। कांग्रेस भी उसे सकारात्मक संदर्भों में ही स्वीकार्य करे। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का संसदीय अनुभव बहुत लम्बा है और वे पुराने राजनीतिज्ञ हैं, ऐसे में वास्तव में उनसे यह जरा भी उम्मीद नहीं की जा सकती है कि वह इस तरह की छोटी बात भी करेंगे।

(लेखक, हिन्दुस्थान समाचार से संबद्ध हैं।)

हिन्दुस्थान समाचार/ मयंक