मप्रः वंशीपहाड़पुर के पत्थरों से आकार लेने लगा देश का प्रथम संत रविदास मंदिर

country's first Saint Ravidas temple slowly started

- बगैर आयरन से तैयार हो रहा है 66 फुट ऊंचा मंदिर का गर्भगृह


भोपाल, 23 फरवरी (हि.स.)। राजस्थान के धोलपुर वंशीपहाड़पुर के लाल पत्थरों से 100 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला संत रविदास मंदिर धीरे-धीरे मूर्तरूप ले रहा है। मध्य प्रदेश के सागर जिले में बन रहा देश का यह प्रथम संत रविदास मंदिर 66 फुट ऊंचा होगा। मंदिर के गर्भगृह में किसी भी प्रकार के लोहे का उपयोग नहीं होगा। केवल पत्थर, रेत, गिट्टी का उपयोग करते हुए मंदिर को भव्य एवं दिव्य रूप दिया जा रहा है।

सागर कलेक्टर दीपक आर्य ने शुक्रवार को बताया कि विगत वर्ष संत रविदास जयंती के अवसर पर प्रदेश शासन द्वारा 100 करोड़ रुपये की लागत से संत रविदास मंदिर और संग्रहालय की घोषणा की गई थी, जिसका भूमि पूजन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किया गया था। इसके पूर्ण होने अवधि अगस्त 2025 है। उन्होंने बताया कि केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से संत रविदास मंदिर के निर्माण की लगातार निगरानी की जा रही है।

गौरतलब है कि बारहवीं-तेरहवीं शताब्दी का समय भारत में भक्ति आंदोलन का समय था। मध्यकाल में कई संतों ने सामाजिक समानता और जाति आधारित भेदभाव उन्मूलन पर बल दिया। इनमें रविदास जी महान सुधारक और सत्य के उपदेशक बनकर प्रमुख संत के रूप में प्रतिष्ठित हुए। अपनी रचनाओं के माध्यम से रविदास जी ने ईश्वर के एक रूप का स्वीकार किया, जाति भेद की आलोचना की और समानता का समर्थन किया। ’संत शिरोमणि’ उपाधि प्राप्त गुरु संत रविदास को लोग ’रैदास’ के नाम से भी जानते हैं। संवत 1377, काशी में माघ पूर्णिमा के दिन जन्मे संत रैदास की रचनाएँ आध्यात्मिक एवं सामाजिक रूप से काफी प्रगतिशील रही। रैदास जी ने अपने आचरण तथा व्यवहार से प्रमाणित किया कि मनुष्य जन्म से नहीं अपने कर्मों से महान बनता है।

’संत रविदास मन्दिर और संग्रहालय’



कलेक्टर आर्य ने बताया कि मध्यप्रदेश सरकार, संत रैदास के सामाजिक परिष्कार एवं एकता के विचार और लोक-परिमार्जन एवं मानवता की वाणी को रक्षित करने का प्रयास करने जा रही है। संत रविदास की वाणी-विरासत को सुरक्षित रख कर नई पीढ़ी तक पहुंचाने हेतु मध्यप्रदेश सरकार द्वारा ’संत रविदास मन्दिर और संग्रहालय’ का निर्माण करने जा रही है। समानता एवं ईश्वर के प्रति समर्पण भाव इस मन्दिर और संग्रहालय का केन्द्र बिंदु बनेगा। संत रविदास मन्दिर एवं संग्रहालय’ परिसर विभिन्न सुविधाओं के साथ देश-विदेश के कई साधक, संशोधक एवं भक्तों को आकर्षित करेगा। अत्याधुनिक संसाधन, रोशनी, पेड़-पौधों से परिसर का वातावरण ज्ञान के साथ सुकून का अनुभव करायेगा। साथ ही, इस परिसर की डिजाइन वास्तुकला के आधार से तैयार की जायेगी। संत रविदास मन्दिर एवं संग्रहालय’ 12 एकड भूमि में आकार लेगा।

मन्दिर- इस परियोजना के मध्यस्थ 5500 वर्ग फिट में मुख्य मन्दिर आकार लेगा। मन्दिर नागर शैली से बनाया जाएगा। मन्दिर में गर्भगृह, अन्तराल मन्डप तथा अर्धमन्डप का सुंदर निर्माण होगा। मन्दिर केवल पूजा का स्थान न बनकर सांस्कृतिक-आध्यात्मिक चर्चाओं का केन्द्र स्थान बनेगा। आगंतुक भारतीय संस्कार व संस्कृति के विषय में विस्तार से जान पाएंगे। आध्यात्मिक विश्वासों पर चिंतन एवं मनन के लिए यह केन्द्र मुख्य आकर्षण बनेगा।

जलकुंड- ’संत रविदास संग्रहालय’ (म्यूज़ियम) के प्रवेश द्वार के सामने बड़ा सा जलकुंड आकार लेने वाला है। सुन्दर नक्काशी और मूर्तियों के साथ इस जलकुंड के आसपास पेड़ पौधों की रमणियता प्रदान की जाएगी। जल से पवित्रता का अनुभव होता है, इसलिए कुंड के पास विहार करने योग्य विशाल स्थान बनेगा।

संग्रहालय- मन्दिर के आसपास वर्तुलाकार की भूमि पर चार गैलेरी बनेगी जिसमें, संत रविदास जी के जीवन को विस्तृत रूप से एवं आधुनिक संसाधनों की सहायता से प्रस्तुत किया जायेगा। संत रविदास की वाणी, उनके कार्य, सामाजिक प्रदान, भक्ति आंदोलन, आंदोलन में संत रविदास की भूमिका आदि विषयों को कलात्मक रूप से आधुनिक तकनीकों के साथ दर्शाया जाएगा।

पुस्तकालय- दस हजार वर्गफुट में पुस्तकालय और संगत सभाखंड आकार लेगा। यहाँ संत रविदास की उपलब्धियाँ और शिक्षाओं को संग्रहित किया जाएगा। संत रविदास जी के कृतित्व के साथ यहाँ आध्यात्मिक, धार्मिक पुस्तकें भी रखी जाएंगी। इसके अलावा यहां संगत सभाखंड बनेगा, जिसका आकार फूलों की पंखुड़ियों जैसा होगा, जबकि 12,500 वर्गफुट में भक्त निवास निर्मित होगा। मुलाकातियों के लिए पंद्रह हजार वर्गफुट में विशाल अल्पाहार गृह का निर्माण होगा। तम्बू-आकार की डिजाइन वाले यह अल्पाहार गृह में नाश्ते-भोजन के साथ अन्य सामग्री परोसी जायेगी।

कलेक्टर ने बताया कि संत रविदास मन्दिर एवं संग्रहालय’ के माध्यम से आधुनिक विकास एवं कलात्मकता के साथ संत रविदास जी की शिक्षाएँ व दिक्षाओं को नई पीढ़ी तक पहुंचेगी। यह आध्यात्मिक स्थान समग्र विश्व के विभिन्न संस्कृति के साधकों का स्वागत करेगा और साथ ही रहस्यवाद पथ की गहरी समझ व्यापक बनायेगा।

असि. इंजीनियर टूरिज्म मनीष डेहरिया ने बताया कि मंदिर निर्माण का कार्य शीघ्रता से चल रहा है, जिसमें अभी तक निर्माण एजेंसी यूनिट इंजीवेन्चर कसोटियम एलएलपी नोयडा द्वारा 25 प्रतिशत किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि मंदिर का फाउंडेशन कार्य पूर्ण तथा म्यूजियम फाउंडेशन का कार्य प्रगति पर है। डोरमेट्री प्रथम तल, भक्त निवास प्रथम तल, वाउड्रीबाल, कुण्ड कालोनेड स्ट्रक्चर फाउंडेशन का कार्य प्रगति पर है। टायलेट ब्लॉक स्ट्रक्चर, लाईब्रेरी टिपंथ एवं कैफेटेरिया प्लिंथ तक का कार्य पूर्ण हो गया है।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश/संजीव