हैदराबाद : संसद के मौजूदा मॉनसून सत्र के दौरान कार्यवाही बार-बार बाधित होने के मद्देनजर उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने दोनों सदन कभी कभी जिस तरीके से काम करते हैं उसे लेकर शनिवार को चिंता जताई।

नायडू ने यहां रामनाथपुर में हैदराबाद पब्लिक स्कूल के स्वर्ण जयंती समारोहों का उद्घाटन करने के बाद यह कहा। उन्होंने छात्रों को जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभाव के मद्देनजर प्रकृति से प्रेम करने और प्रकृति के साथ रहने की सलाह दी।

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, कुछ भी कहने से पहले मेरी पहली सलाह यह है कि प्रकृति से प्रेम करें और उसके साथ रहें।’’ नायडू ने कहा, ‘‘छात्रों को उनकी दूसरी सलाह अनुशासन और शिष्टता बनाए रखना है। ’’

इस अवसर पर, संसद कभी कभी जिस तरीके से काम करती है उसे लेकर शनिवार को चिंता जताई।

राज्यसभा के सभापति ने कहा, ‘‘मेरी दूसरी सलाह (छात्रों को) अनुशासन, शिष्टता बनाए रखने की है। मैंने सांसदों से कहा है। क्योंकि, आप सब इस बात से अवगत हैं कि संसद में कभी-कभी क्या हो रहा है। संसद की कार्यवाही का तौर तरीका कभी-कभी क्या होता है, यह चिंता की बात है। ’’

मॉनसून सत्र शुरू होने के बाद से आवश्यक वस्तुओं पर माल एवं सेवा कर(जीएसटी), महंगाई और अन्य मुद्दों पर चर्चा कराने की मांग को लेकर विपक्ष के हंगामे के कारण संसद की कार्यवाही बार-बार बाधित हुई है।

विपक्षी दलों के प्रदर्शन के कारण राज्यसभा और लोकसभा से कई सदस्यों को निलंबित भी किया गया है।

अपने संबोधन में नायडू ने आगे कहा,‘‘मैं बहुत खुश हूं कि नयी शिक्षा नीति सही दिशा में उठाया गया एक सही कदम है। ’’ उन्होंने कहा कि बच्चों की प्राथमिक शिक्षा उनकी मातृभाषा में मिलनी चाहिए।

उपराष्ट्रपति ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, स्वयं का, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई नहीं की थी।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत ने कभी किसी देश पर हमला नहीं किया और वह उपनिवेशवाद में यकीन नहीं रखता। हम वसुधैव कुटुंबकम में विश्वास करते हैं।’’