काठमांडू, 23 फरवरी (हि.स)। नेपाल की प्रचंड सरकार के तीन मंत्रियों की बर्खास्तगी की मांग को लेकर शुक्रवार को मुख्य विपक्षी पार्टी नेकपा (एमाले) के सदस्यों ने संसद में जमकर हंगामा किया। विपक्ष इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहाल 'प्रचंड' के बयान की मांग पर अड़ा रहा। विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण सदन में दिनभर कोई कामकाज नहीं हो सका।

नेकपा (एमाले) के सदस्यों ने प्रधानमंत्री प्रचंड से उनके तीन मंत्रियों पर दोष साबित होने के बावजूद कार्रवाई नहीं करने को लेकर आलोचना की। नेपाली संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा की कार्यवाही में नेकपा (एमाले) के नेता योगेश भट्टराई ने कहा कि जब तक भौतिक निर्माण एवं यातायात मंत्री प्रकाश ज्वाला, स्वास्थ्य मंत्री मोहन बहादुर बस्नेत और पर्यटन संस्कृति एवं नागरिक उड्डययन मंत्री सुदन किरांती की बर्खास्तगी नहीं होती, सदन की कार्रवाई नहीं चलने देंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को स्वयं इस विषय पर सदन में जवाब देना चाहिए।



पुलिस की गोली लगने से दो नागरिकों की मौत होने के बाद सरकार की जांच समिति ने मंत्री प्रकाश ज्वाला को दोषी ठहराया है। विपक्ष की मांग है कि सरकारी जांच समिति में ही जब मंत्री को मुख्य दोषी करार दे दिया गया है तो फिर उस मंत्री को पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। नेकपा (एमाले) के प्रमुख सचेतक पदम गिरी ने प्रधानमंत्री से मांग की है कि वो मंत्री प्रकाश ज्वाला को तत्काल बर्खास्त करें। पिछले महीने एक विरोध प्रदर्शन के दौरान मंत्री ज्वाला के जबरन भीड़ में जाने के कारण पुलिस को गोली चलानी पड़ी जिससे दो प्रदर्शनकारियों की मौत गई थी।



दूसरे विपक्षी दल राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) ने संस्कृति मंत्री सुदन किरांती की बर्खास्तगी की मांग की है। कुछ दिन पहले हिन्दू विरोधी अभिव्यक्ति देने और क्रिश्चियन धर्म नहीं मानने वाले को संविधान विरोधी कहने वाले मंत्री किरांती को हटाने की मांग की गई है। आरपीपी सांसद धवल शमशेर राणा ने प्रतिनिधि सभा में कहा कि बहुसंख्यक हिन्दू धर्मावलंबियों की भावना को ठेस पहुंचाने के कारण किरांती को मंत्री बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। इसी तरह मंत्री किरांती पर पशुपतिनाथ मंदिर ट्रस्ट के कार्यकारी निदेशक के पद पर एक क्रिश्चियन महिला को नियुक्त करने का भी आरोप है।



एक अन्य विपक्षी दल राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी की सांसद डॉ. तोषिमा कार्की ने स्वास्थ्य मंत्री द्वारा किए गए विभिन्न राजनीतिक नियुक्ति में पैसे के लेन-देन को लेकर कई स्थानीय मीडिया में प्रमाण सहित खबर प्रकाशित होने के बावजूद उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होने पर दुख व्यक्त किया है। डॉ. कार्की ने सदन में बताया कि सिर्फ राजनीतिक नियुक्ति ही नहीं बल्कि अस्पतालों में खरीद की गई मशीनों में मंत्री और उनके रिश्तेदारों को कमीशन दिए जाने की भी खबर प्रमाण सहित प्रकाशित होने के बाद स्वास्थ्य मंत्री को पद पर बने रहने का कोई हक नहीं है इसलिए उन्हें तुरंत बर्खास्त करना चाहिए।



इन तीनों मंत्रियों की इस्तीफे की मांग पर अडे़ विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बाद स्पीकर देवराज घिमिरे को सदन की कार्यवाही को पहले 15 मिनट के लिए फिर एक घंटे के लिए स्थगित करनी पड़ी। विपक्ष के हंगामे के कारण सदन में कोई कामकाज नहीं हो सका।



हिन्दुस्थान समाचार/पंकज दास /पवन