पूर्वी चंपारण,04अप्रैल (हि.स.)।बिहार में पूर्वी चंपारण जिले के परसौनी कृषि विज्ञान केंद्र के मृदा विशेषज्ञ डॉ आशीष राय ने हिन्दुस्थान समाचार से विशेष बातचीत में बताया कि हरी खाद जैविक खेती का एक महत्वपूर्ण अवयव है,जिसके उपयोग से वायुमंडलीय नाइट्रोजन को मिट्टी में स्थिर रखा जा सकता है । साथ ही इसके प्रयोग से मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा को भी बढ़ाया जा सकता है।

डॉ आशीष राय ने बताया कि ऐसे में किसान भाई रसायनिक उर्वरकों के असंतुलित प्रयोग के बजाय हरी खाद का प्रयोग कर लगातार ह्रास हो रही मिट्टी की उर्वरता को वापस लाया जा सकता है। हरी खाद न केवल 17 पोषक तत्वों की आपूर्ति करता है,बल्कि मिट्टी में हार्मोन तथा विटामिन की मात्रा भी बढ़ाता है। उन्होने बताया कि मुख्य रूप से दलहनी फसलों को उनके वानस्पतिक वृद्धि काल में फूल आने के तुरंत पहले जुताई करके मिट्टी में अपघटन के लिए मिलाना ही हरी खाद है।



हरी खाद के लिए इन दलहनी फसलों का करे चुनाव

डॉ राय ने बताया कि हरी खाद के लिए दलहनी फसलें कृषि जलवायु प्रक्षेत्र के अनुसार ली जाती है। जो कम समय में ही बहुतायत मात्रा में कार्बनिक पदार्थ उपलब्ध कराती है। दलहनी फसलों की वृद्धि शीघ्र होती है जिसके कारण खरपतवार की वृद्धि नहीं हो पाती है तथा मिट्टी में शीघ्र ही सड़ने योग्य हो जाती है। प्रमुख हरी खाद फसलें, ढैंचा, सनई, लोबिया, ग्वार, उड़द व मूंग शामिल है।



गन्ने की खेतो में करे सनई की फसल बुवाई

डॉ राय ने बताया कि गन्ने की फसल के साथ सनई लगाकर 40-50 दिन बाद गन्ने में मिट्टी में चढ़ाने के समय सनई को मिट्टी में मिलाये। दलहनी फसलों की जड़ों में जब गुलाबी/लाल ग्रंथियों का निर्माण होने लगे तब इसे पलट कर मिट्टी में मिला दे। मूंग में फलियों की तुड़ाई के पश्चात उसके शेष अवशेष को जुताई कर मिट्टी में मिला दे। वैसे सामान्यतः 40-60 दिन मूंग होने के बाद उसे मिट्टी में पलट कर अच्छी जुताई कर खेत को पानी से भर दे। हरी खाद को मिट्टी में पलटने के पश्चात उसमें धान की रोपाई कर सकते है, ऐसा करने से दोहरा लाभ मिलता है,क्योंकि धान में नत्र जन की पूर्ति करने हेतु यूरिया का छिड़काव करते समय हरी खाद को अपघटन में समय मिलता है। हरी खाद से धान की अच्छी पैदावार के साथ ही साथ अगली फसल के लिए पर्याप्त मात्रा में कार्बनिक पदार्थ उपलब्ध होते है।



हरी खाद उपयोग के मायने

बुवाई सही समय पर तथा सही बीज का उपयोग करना चाहिए। मुख्य फसल से प्रतियोगिता ना हो इसका ध्यान रखा जाए । पौधे के छोटे-छोटे टुकड़े होने चाहिए। मिट्टी में इसे अच्छे से दबा देना चाहिए। हरी खाद को मिट्टी में दबाने के 2 सप्ताह के अंदर मुख्य फसल की बुवाई करनी चाहिए ताकि आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व का ह्रास न हो।



हरी खाद से होने वाले प्रमुख लाभ

इसकी भौतिक एवं रासायनिक संरचना अच्छी होती है जिससे पानी का संचयन होता है। हरी खाद वायुमंडल में उपस्थित नाइट्रोजन को स्थिर करता है जिससे रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम होती है। हरी खाद मिट्टी में गहरी जरी विकसित करता है जिसके कारण मिट्टी में वायु संचार अच्छा हो जाता है और फंगस की बीमारी कम लगती है।सूक्ष्मजीवों के लिए यह खाद्य पदार्थ का काम करता है जो इन्हें खाकर बहुत तेजी से अपनी संख्या को बढ़ाते हैं जिससे अपघटन तेजी से होती है। हल्की तथा भारी दोनों प्रकार की मिट्टियों में कार्बनिक पदार्थ की वृद्धि से उपज में वृद्धि के साथ-साथ मिट्टी में हयूमस की मात्रा बढ़ने के कारण जल धारण क्षमता में वृद्धि होती है और पोषक तत्व भरपूर मात्रा में मिलता है। यह खरपतवारों को पनपने नहीं देता है जिससे मुख्य पौधा तेजी से बढ़ता है।

हरी खाद को मिट्टी में कैसे मिलाए और कब मिलाएं

खड़ी फसल को खेत में ही जुताई करके मिट्टी में मिला दिया जाता है।भूमि में लगने वाली फसल की बुआई एवं हरी खाद की पलटाई के बीच का अंतर पर्याप्त हो तभी हरी खाद को मिट्टी में मिलाना उचित है। जिसमें मिट्टी में पलटने के बाद उसके अपघटन के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है।

हिन्दुस्थान समाचार/आनंद प्रकाश/गोविन्द