किशनगंज,26अप्रैल(हि.स.)। लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण की वोटिंग जारी है। बिहार की जिन 5 सीटों पर वोटिंग हो रही है, उनमें किशनगंज लोकसभा सीट भी शामिल है। लोकसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला होने के कारण और 67 फीसदी मुस्लिम मतदाता होने के कारण पूरे देश की नजर किशनगंज संसदीय सीट पर टिकी हुई है।

जदयू प्रत्याशी मुजाहिद आलम, कांग्रेस प्रत्याशी जावेद आजाद और एआईएमआईएम प्रत्याशी अख्तरुल इमाम के बीच काटे की टक्कर है। गौर करे कि किशनगंज में 1 बजे तक 34.65% वोटिंग हुआ। बिहार सरकार में भू राजस्व व निबंधन मंत्री डा. दिलीप कुमार ने बूथ नंबर 248 उत्क्रमित मध्य विद्यालय दिलावरगंज में मतदान किया। एक बार फिर प्रधानमंत्री मोदी की सरकार बनने का डा. दिलीप कुमार जायसवाल ने दावा किया है। उन्होंने कहा कि 88 में से 80 सीट एनडीए को मिलेगी। गौर करे कि किशनगंज में तीनों प्रत्याशी सूरजापुरी मुस्लिम होने के कारण इन प्रत्याशियों की निगाह हिंदू वोटरों पर है। वजह हिंदू वोटर निर्णायक का भूमिका निभाएगा। जो प्रत्याशी एक मुस्त हिंदू वोट लायेगा वहीं प्रत्याशी चुनाव में जीत हासिल करेगा।

जातिगत समीकरण की बात करें तो तीनों ही पार्टियों के उम्मीदवार सुरजापुरी समुदाय से आते हैं। यहां जातीय समीकरण नहीं बल्कि धार्मिक समीकरण पर चुनाव लड़े जाते रहे हैं। किशनगंज लोकसभा सीट पर 18 लाख 22 हजार 860 मतदाता 12 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे। लोकसभा क्षेत्र में कुल 1781 मतदान केंद्र बनाए गए हैं, जिसमे 258 संवेदन शील बूथ घोषित किये गये हैं। किशनगंज लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत 6 विधानसभा क्षेत्र है। जिसमें अमौर व बायसी विधानसभा पूर्णिया जिला में आता है, किशनगंज लोकसभा सीट में 67 फीसदी मुस्लिम मतदाता है और 33 फीसदी हिंदू मतदाता हैं। सीमावर्ती किशनगंज संसदीय क्षेत्र नेपाल और पश्चिम बंगाल से सटा है। मुस्लिम बहुल किशनगंज की सियासत जितनी सरल है, उतना ही रोचक भी। कांग्रेस के लिए यह सुरक्षित किला माना जाता है। 1957 से 2019 तक 16 लोकसभा चुनावों में से नौ बार इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा। भाजपा को सिर्फ एक बार 1999 में मौका मिला, जब त्रिकोणीय मुकाबले में शाहनवाज हुसैन जीते। पिछले तीन चुनावों से कांग्रेस ही जीतती रही है।

दिलचस्प बात यह है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 में से महागठबंधन का सिर्फ किशनगंज लोकसभा सीट पर ही कब्जा किया था। गठबंधन के तहत जनता दल यूनाइटेड के खाते में इस बार यह सीट गई है और मुजाहिद आलम को पार्टी ने टिकट दिया है। जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में भी इस सीट से जेडीयू ने चुनाव लड़ा था, लेकिन जदयू उम्मीदवार मरहूम महमूद अशरफ को हार का सामना करना पड़ा था और कांग्रेस के डा. जावेद आजाद यहां से सांसद निर्वाचित हुए थे। एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान तीसरे स्थान पर रहे थे।

हिन्दुस्थान समाचार/धर्मेन्द्र/चंदा