गुवाहाटी, चार नवंबर (भाषा) चार प्रमुख टायर कंपनियां पांच साल की परियोजना के तहत पूर्वोत्तर और पश्चिम बंगाल में रबड़ पौधरोपण बढ़ाने के लिए 1,100 करोड़ रुपये का निवेश करेंगी। इस परियोजना को रबड़ बोर्ड के सहयोग के साथ वाहन टायर विनिर्माता संघ (एटीएमए) द्वारा लागू किया जा रहा है।

रबड़ बोर्ड के कार्यकारी निदेशक के एन राघवन ने शुक्रवार को गुवाहाटी में पीटीआई-भाषा से कहा कि भारत में प्राकृतिक रबड़ की मांग-आपूर्ति में भारी अंतर है और देश इसके लिए आयात पर निर्भर है।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत में वर्ष 2021-22 में 12.3 लाख टन प्राकृतिक रबड़ की खपत के मुकाबले घरेलू उत्पादन 7.7 लाख टन ही रहा। अनुमान है कि वर्ष 2030 तक प्राकृतिक रबड़ की मांग बढ़कर 20 लाख टन हो जाएगी।’’ राघवन ने कहा कि देश ने मुख्य रूप से इंडोनेशिया, वियतनाम, थाइलैंड और कोटे डी आइवर (आइवरी कोस्ट) से 5.46 लाख टन रबड़ का आयात किया, जिसके परिणामस्वरूप पिछले वित्त वर्ष के दौरान 7,500 करोड़ रुपये का खर्च आया।

उन्होंने कहा, ‘‘इस पृष्ठभूमि में एटीएमए प्राकृतिक रबड़ के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने के लिए आगे आया। अंशधारकों के बीच चर्चा के बाद हमने पूर्वोत्तर भारत में एक विशेष योजना शुरू करने का फैसला किया क्योंकि इसमें भूमि की उपलब्धता और उपयुक्त जलवायु के कारण रबड़ की रोपाई की अपार संभावनाएं हैं।’’ एटीएमए के अध्यक्ष सतीश शर्मा ने कहा कि अपोलो टायर्स, सिएट, जेके टायर और एमआरएफ ने मिलकर अगले पांच वर्षों में क्षेत्र के सात राज्यों और पश्चिम बंगाल में रबर पौधरोपण बढ़ाने के लिए ‘‘व्यावसायिक निवेश’’ के रूप में 1,100 करोड़ रुपये लगाने का भरोसा दिया है।