नयी दिल्ली: आंध्र प्रदेश के सत्तारूढ़ दल युवजन श्रमिक रयाथु कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के एक प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की और मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी के खिलाफ तेलगु देशम पार्टी (तेदेपा) के नेताओं द्वारा कथित अभद्र भाषा के इस्तेमाल पर इस विपक्षी दल की मान्यता रद्द करने की मांग की।

वाईएसआरसीपी के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाले पार्टी महासचिव वी विजय साई रेड्डी ने राष्ट्रपति से केंद्रीय कानून मंत्रालय को अदालतों की अवमानना अधिनियम के समान संसद में कानून बनाने का निर्देश देने का भी आग्रह किया, जिसके तहत संवैधानिक पदाधिकारियों की गरिमा को जानबूझकर ठेस पहुंचाने और दुर्भावनापूर्ण कृत्यों के लिए दंडित करने का प्रावधान हो।

वाईएसआरसीपी ने राष्ट्रपति को दिए एक आवेदन में आरोप लगाया कि तेदेपा राज्य में लोकतांत्रिक प्रगति को नुकसान पहुंचा रही है और राज्य की छवि खराब करने के लिए सार्वजनिक तौर पर अपशब्दों का इस्तेमाल कर रही है। रेड्डी ने कहा कि तेदेपा का कथित अनियंत्रित आचरण जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 का सरासर उल्लंघन है, क्योंकि विपक्षी दल ने ‘‘झूठा प्रचार करके सुनियोजित अभियान’’ के जरिये लोगों के दिमाग में जहर भर दिया है।

रेड्डी ने कहा कि तेदेपा द्वारा निराधार हमलों से आंध्र प्रदेश में लोकतांत्रिक संस्थानों की गरिमा की रक्षा करना जरूरी है। उन्होंने राष्ट्रपति से संबंधित अधिकारियों को ‘‘तेदेपा की मान्यता समाप्त करने के लिए तत्काल कार्रवाई’’ करने का निर्देश देने का आग्रह किया। वाईएसआरसीपी नेता ने कहा कि तेदेपा प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू ने भी अपनी पार्टी के नेताओं की टिप्पणी की निंदा करने का कोई प्रयास नहीं किया है।

वाईएसआरसीपी ने 28 अक्टूबर को निर्वाचन आयोग (ईसीआई) को भी एक आवेदन दिया था जिसमें तेदेपा की मान्यता रद्द करने की मांग की गई थी। तेदेपा ने भी एक नवंबर को वाईएसआरसीपी के लिए निर्वाचन आयोग के समक्ष इसी तरह की मांग की थी।