नेल्लोर (आंध्र प्रदेश) : उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने रविवार को कहा कि सेवा ही वास्तविक धर्म है और इसके अलावा कोई भी चीज सुख प्रदान नहीं कर सकती।

उपराष्ट्रपति ने आंध्र प्रदेश के एसपीएस नेल्लोर जिले के वेंकटचलम में स्वर्ण भारत न्यास की 20वीं वर्षगांठ के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में यह बात कही। इस समारोह में गृह मंत्री अमित शाह ने भी शिरकत की।

इस मौके पर उपराष्ट्रपति ने कहा कि सेवा ही वास्तविक धर्म है।

उन्होंने कहा, 'सेवा से बढ़कर कोई खुशी नहीं है। हमें खुशी है कि हमारे ट्रस्ट ने कई वर्षों में किसानों, महिलाओं और युवाओं के जीवन को बदलने में मदद की है।'

वेंकैया नायडू ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच की दूरी को कम करने की आवश्यकता पर बल दिया।

उन्होंने कहा, 'कृषि हमारे देश की मूल संस्कृति है। हमें इस पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। देश का भविष्य युवा हैं और हमें उनका पोषण करने की जरूरत है। महिलाओं का सशक्तिकरण भी महत्वपूर्ण है।'

पद्म पुरस्कारों का उल्लेख करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि समाज को प्रभावित करने वाली वास्तविक प्रतिभा और जमीनी स्तर के लोगों को पहचानने में एक नयी परंपरा स्थापित की गई है।

वेंकैया नायडू ने कहा, 'मैं इस संबंध में उत्कृष्ट काम करने के लिए भारत सरकार की सराहना करता हूं।'

गृह मंत्री अमित शाह ने भी अपने संबोधन में पद्म पुरस्कारों का उल्लेख किया और कहा कि अब ये पुरस्कार 'लोकतांत्रिक और पारदर्शी' तरीके से दिए जा रहे हैं।

शाह ने कहा कि गृह मंत्री के रूप में मैंने पढ़ा था कि पिछले वर्षों में पद्म पुरस्कार कैसे दिए जाते थे। बिना किसी सिफारिश के कोई पुरस्कार नहीं दिया जाता था, फिर चाहे वह विधायक, सांसद, मंत्री या मुख्यमंत्री की सिफारिश हो। लेकिन अब, कोई भी व्यक्ति ऑनलाइन आवेदन कर सकता है और पुरस्कार योग्यता के आधार पर दिए जाते हैं। ”

उन्होंने कहा कि जनसेवा करने वाले जमीनी स्तर के लोगों को पहचाना और सम्मानित किया गया है।

गृह मंत्री ने कहा, 'कर्नाटक के एक सुदूर गांव की एक गरीब महिला का मामला एक बेहतरीन उदाहरण है। उसने वर्षों में हजारों पौधे उगाए। उसने कभी जूते भी नहीं पहने थे, लेकिन उसे इस साल पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। इस तरह अब योग्यता के आधार पर पद्म पुरस्कारों से सम्मानित जाता है।'