अमरावती : प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन वी रमण ने शनिवार को कहा कि केंद्र को आंध्र प्रदेश को उदारतापूर्वक वित्तीय सहायता देनी चाहिए क्योंकि विभाजन से राज्य को नुकसान हुआ।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘लोगों में पीड़ा की भावना है कि आंध्र प्रदेश विभाजन के बाद वित्त के मामले में पिछड़ गया है। केंद्र को वित्तीय सहायता देनी चाहिए, जबकि लोगों को कड़ी मेहनत करनी चाहिए तथा राज्य को प्रगति के पथ पर ले जाना चाहिए।’’

न्यायमूर्ति रमण विजयवाड़ा शहर में नए अदालत परिसर का उद्घाटन करने के बाद एक बैठक को संबोधित कर रहे थे। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि समाज तभी आगे बढ़ेगा जब शांति होगी और सभी वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व दिया जाएगा।

न्यायमूर्ति रमण ने कहा, ‘‘मेरे कार्यकाल के अंतिम 16 महीनों में, हमने उच्च न्यायालयों में 250 न्यायाधीश, उच्चतम न्यायालय में 11 और 17 मुख्य न्यायाधीशों को भी नियुक्त किया। नियुक्तियों में विभिन्न वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व दिया गया। इससे न्यायपालिका में लोगों का विश्वास बढ़ेगा।’’

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘लोगों को न्यायपालिका के प्रति सम्मान और विश्वास रखना चाहिए। अगर लोगों का न्यायपालिका पर से विश्वास उठ गया तो यह लोकतंत्र के लिए खतरा होगा।’’

प्रधान न्यायाधीश के रूप में अपने कार्यकाल का उल्लेख करते हुए न्यायमूर्ति रमण ने कहा कि उन्होंने न्यायिक रिक्तियों को भरने और आवश्यक बुनियादी ढांचे के निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘लंबित मामले मुख्य समस्या हैं, जिसके कई कारण हैं। न्यायिक अधिकारियों में कम समय में न्याय देने की उत्सुकता होनी चाहिए। साथ ही, वकीलों को भी न्यायिक व्यवस्था को मजबूत करने के लिए अपना सहयोग देना चाहिए।’’

न्यायमूर्ति रमण ने वरिष्ठ अधिवक्ता के रवींद्र राव और अन्य को याद किया जिन्होंने उनका मागदर्शन किया। न्यायमूर्ति रमण ने कहा, ‘‘उन्होंने मुझे हर कदम पर प्रोत्साहित किया, जिसकी वजह से मैं इस मुकाम तक पहुंचा।’’