कोलकाता, 12 अप्रैल (हि.स.)। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मथुरापुर के तृणमूल उम्मीदवार बापी हलदर और उनकी पत्नी और पूर्व तृणमूल पंचायत प्रमुख शिली हलदर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं करने के लिए मथुरापुर पुलिस स्टेशन के ओसी को फटकार लगाई है। दक्षिण 24 परगना के कृष्णचंद्रपुर पंचायत के वर्तमान भाजपा प्रमुख अनुपकुमार मिस्त्री ने हलदर दंपति पर पंचायत को फंड से वंचित करने का आरोप लगाते हुए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता ने शुक्रवार को कहा कि पुलिस ने अन्य मामलों की जांच किए बिना प्राथमिकी दर्ज की। इधर पुलिस ने जांच के बहाने आपराधिक आरोपों को रोक दिया है। इतने दिन बाद भी ओसी ने एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की ? इसकी जानकारी 15 दिन के अंदर कोर्ट को दी जाए। इस मामले की अगली सुनवाई छह मई को है।



अनूप ने हाई कोर्ट में गुहार लगाई थी कि मामले की जांच सीबीआई और ईडी को सौंप दी जाए। उन्होंने आरोप लगाया कि शिली ने पंचायत प्रधान रहते हुए एक ही जगह पर बार-बार काम दिखाकर पैसों का गबन किया। इस संबंध में जिलाधिकारी, एसडीओ, बीडीओ को सूचना देने से कोई फायदा नहीं हुआ। उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्रालय को भी इसकी जानकारी दी। कथित तौर पर इसके बाद से ही धमकियां मिल रही हैं।



सूत्रों के मुताबिक, एक समय बापी मथुरापुर-1 ब्लॉक के कृष्णचंद्रपुर पंचायत के तृणमूल प्रमुख थे। 2018 में पंचायत महिलाओं के लिए आरक्षित होने के कारण शिली को पंचायत का मुखिया बनाया गया था।



विरोधियों का दावा है कि हालांकि शिली मुखिया थी, लेकिन बापी पंचायत का काम संभालता था। 2023 के चुनाव के बाद पंचायत पर भाजपा का कब्जा हो गया। इसके बाद से शिली के काम को नोटिस किया जाने लगा। उन पर 2018 से 2023 तक वित्तीय भ्रष्टाचार का आरोप लगा।





अनुप की शिकायत है कि 38-40 कंक्रीट सड़कें और जल निकासी नहरें केवल कागज पर बनी है और पूरे फंड को गबन किया गया है। उन्होंने न्यायमूर्ति सेनगुप्ता से कहा कि प्रशासन द्वारा कार्रवाई नहीं करने पर उन्हें अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर होना पड़ा। राज्य ने शुक्रवार को कहा कि आरोपों की जांच की जा रही है। पूछताछ के बाद ही कानूनी कार्रवाई की जाएगी। पूरे मामले पर इलाके के बीडीओ की नजर है। जस्टिस सेनगुप्ता ने राज्य के इस तर्क पर असंतोष जताया। उन्होंने कहा कि प्रारंभिक तौर पर अपराध के सबूत मिले हैं। फिर भी इस घटना पर अचानक इतने शोध की जरूरत क्यों पड़ गई ? जहां पुलिस ने शिकायत ही दर्ज नहीं की वहां बीडीओ क्या कर सकते हैं ? भूपतिनगर मामले में मैंने देखा कि पुलिस ने आरोपितों की पत्नी का बयान सुनने के बाद एफआईआर दर्ज की।





इसके साथ ही जस्टिस सेनगुप्ता की टिप्पणी है, ''इस बात पर संदेह है कि उन सभी शिकायतों की जानकारी और दस्तावेजों को नष्ट करने का प्रयास किया गया है या नहीं।'' इस मामले में तो थाना प्रभारी के खिलाफ भी कार्रवाई का प्रावधान बनता है। उन्हें सशरीर हाजिर होना होगा। हिन्दुस्थान समाचार /ओम प्रकाश /गंगा