कांग्रेस के साथ सीटों के बंटवारें में उलझी सपा के अपने भी बढ़ाने लगे सिर दर्द

SP, entangled in seat sharing with Congress


लखनऊ, 15 फरवरी (हि.स.)। समाजवादी पार्टी (सपा) इन दिनों दोहरी परेशानियों का सामना कर रही है। एक तरफ कांग्रेस से सीटों का बंटवारा नहीं हो पाने से परेशानी बढ़ गयी है। वहीं उसके कई दिग्गज नेताओं के बागी स्वर सामने आ जाने से उलझन बढ़ गयी है। समाजवादी पार्टी इस समय भाजपा से कम, अंदरूनी कलह और गठबंधन दल की परेशानियों से निपटने में ज्यादा समय लगा रही है।



स्वामी प्रसाद मौर्य ने अभी कुछ दिन पहले महासचिव पद से त्यागपत्र देकर पार्टी पर कई आरोप लगाये थे। इसी बीच पल्लवी पटेल ने मुसलमानों की अनदेखी करने का आरोप लगाकर राज्यसभा के लिए वोट न देने का फरमान सुना दिया। अल्पसंख्यक समुदाय को हर समय साथ लेकर चलने वाली समाजवादी पार्टी दोनों नेताओं के वक्तव्यों का खंडन भी नहीं कर पा रही है और उन्हें पार्टी से निकालने में भी उनके वोट बैंक कम होने का डर सताने लगा है।



उधर प्रदेश की 80 सीटों को कांग्रेस ने वरीयता के आधार पर तीन श्रेणी में बांटा है। पहली प्राथमिकता में उन सीटों को रखा है, जिसमें 2009 और 2014 में कांग्रेस विजेता रही है। साथ ही पिछले वर्ष नगर निकाय के चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने वाली सीटों को भी वह अपनी प्राथमिकता में शामिल कर रही है। इस तरह पहली प्राथमिकता की 30 सीटों पर दावा किया।

समाजवादी पार्टी की सीट निर्धारित करने के लिए बनी कमेटी से दो दौर की बातचीत भी हो चुकी है। पहले कांग्रेस और सपा ने हर सीट पर दो- दो उम्मीदवारों के नाम रखे। विश्वस्त सूत्र बता रहे हैं कि सपा कांग्रेस को करीब 20 सीटें देने के लिए राजी हो रही है, लेकिन इसमें उसकी पहली प्राथमिकता वाली सीटों की संख्या सिर्फ पांच से सात ही हो रही है। अन्य उन सीटों को देने की पहल की गई है, जिन पर कांग्रेस का न तो जनाधार है और न ही संगठनात्मक तैयारी है। ऐसे में कांग्रेस ने इन सीटों को लेने से इन्कार कर दिया है।

सूत्रों का कहना है कि सपा की ओर से कांग्रेस को रायबरेली, अमेठी, सुलतानपुर, कानपुर के अलावा बरेली, जालौन, गाजियाबाद, बांसगांव, सीतापुर आदि सीटें देने की पहल की गई है। कांग्रेस इन सीटों को लेने को तैयार नहीं है। कांग्रेस पदाधिकारियों की पहली प्राथमिकता में फर्रुखाबाद, लखीमपुर खीरी आदि सीटें हैं। इन सीटों पर समाजवादी पार्टी ने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। इसी तरह सहारनपुर सीट भी सपा नहीं देना चाहती है, जबकि कांग्रेस इस सीट को छोड़ने को तैयार नहीं है। ऐसी स्थिति में दोनों दलों के बीच तल्खी बढ़ती जा रही है।