चैत्र नवरात्र: आठवें दिन मां अन्नपूर्णा और मंगला गौरी के मंदिर में दर्शन पूजन के लिए उमड़ी भीड़

Chaitra Navratri: Crowd gathered to worship in the

- महिलाओं ने देवी को नारियल,अड़हुल की माला,सुहाग की सामग्री अर्पित की




वाराणसी,16 अप्रैल (हि.स.)। वासंतिक चैत्र नवरात्र में बाबा विश्वनाथ की नगरी आदिशक्ति की आराधना में लीन है। नवरात्र के आठवें दिन मंगलवार को श्रद्धालुओं ने नवगौरी के दर्शन में मंगला गौरी और नवदुर्गा के दर्शन के क्रम में महागौरी मां अन्नपूर्णा के दरबार में पूरे श्रद्धा के साथ हाजिरी लगाई और विधि विधान से दर्शन पूजन किया।

महागौरी मां अन्नपूर्णा के दरबार में आधी रात के बाद से ही श्रद्धालु पहुंचने लगे थे। श्री काशी विश्वनाथ धाम पसिर के निकट स्थित माता अन्नपूर्णा के मंदिर में पीठाधीश्वर महंत शंकरपुरी महाराज ने भोर में देवी के विग्रह को पंचामृत स्नान कराया। विग्रह को नूतन वस्त्र, आभूषण एवं अलंकार के साथ अड़हुल के 108 फूलों वाली माला अर्पित कर श्रृंगार किया। माता के विग्रह को भोग लगाने के बाद उन्होंने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच महाआरती की। इसके बाद मंदिर के पट भक्तों के लिए खोल दिए गए। भोर से ही दर्शनार्थियों की कतार दर्शन के लिए लगी रहीं। श्रद्धालुओं ने दरबार में 11 से 108 बार तक परिक्रमा (फेरी) की।

काशी में ऐसी मान्यता है कि सच्चे मन से महागौरी की पूजा की जाए तो सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। माता की कृपा से समस्त लौकिक-अलौकिक सिद्धियां प्राप्त होती हैं। मां महागौरी का परम ऐश्वर्य सिद्धि मंत्र- “सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।'' मंत्र का जाप सबका कल्याण करता है।



इसी क्रम में नौ गौरी के पूजन के लिए श्रद्धालु पंचगंगा घाट के समीप स्थित मंगला गौरी के दरबार में पहुंचे। मंगलकारिणी मंगला गौरी के दरबार में दर्शन पूजन के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। भोर में मंदिर के महंत के सानिध्य में अर्चकों ने देवी के विग्रह को पंचामृत स्नान कराने के बाद नूतन वस्त्र, आभूषण धारण कराया। इसके बाद भोग अर्पित कर महाआरती की। काशी में मां मंगला गौरी सुहाग की देवी के रूप में पूजित है। ऐसे में सुहागिन महिलाओं ने देवी को नारियल और अड़हुल की माला के साथ सुहाग की सामग्री समर्पित कर अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मांगा।

मंगला गौरी के मंदिर में भी गौरीगभस्तीश्वर महादेव का मंदिर भी है। भगवान सूर्य ने यही तपस्या की थी। तपस्या के दौरान भगवान सूर्य के पसीने से ही यहां किरणा नदी का उद्गम हुआ था। किरणा पंचगंगा की पांच नदियों में से एक है। पंचगंगा में शेष नदियां गंगा, यमुना, सरस्वती और धूतपापा हैं।



हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/मोहित