मुरादाबाद : केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी-2020) का उद्देश्य डिग्री को शिक्षा और आजीविका के अवसरों से अलग करना है।

उत्तर प्रदेश के ठाकुरद्वारा में कृष्ण महाविद्यालय में छात्रों और युवाओं को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि एनईपी-2020 भारत में छात्रों और युवाओं को नए कॅरियर एवं उद्यमिता अवसर प्रदान करने के साथ स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र की पूरक भी है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्रारंभ की गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 वैश्विक मानकों के अनुरूप भारत की शिक्षा नीति को पुन:स्थापित करेगी। नई शिक्षा नीति को आजादी के बाद देश में हुआ सबसे बड़ा ऐतिहासिक सुधार बताते हुए उन्‍होंने कहा कि यह नीति न केवल प्रगतिशील और दूरदर्शी है, बल्कि 21वीं सदी के भारत की उभरती आवश्यकताओं और जरूरतों का भी पूरा ध्यान रखती है।

कार्मिक मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में सिंह के हवाले से कहा कि यह केवल डिग्री पर ही ध्यान केंद्रित नहीं करती बल्कि छात्रों की अंतर्निहित प्रतिभा, ज्ञान, कौशल और योग्यता को उचित प्राथमिकता देती है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एनईपी-2020 में विविध प्रवेश/निकासी के विकल्प मौजूद हैं, जिससे छात्रों को अकादमिक लचीलापन प्राप्त होगा। उन्होंने कहा कि इससे छात्रों को विभिन्न समय में विभिन्न कॅरियर का लाभ उठाने का सही अवसर प्राप्त होगा, जो कि उनकी व्यक्तिगत शिक्षा और अंतर्निहित योग्यता पर निर्भर करेगा।

सिंह ने छात्रों और युवाओं से देश में तेजी से बढ़ते स्टार्ट-अप क्षेत्र में आजीविका के अवसरों की तलाश करने का भी आग्रह किया। उन्होंने उपस्थित लोगों से कहा कि इस वर्ष अगस्त माह में उत्तर प्रदेश सरकार ने रोजगार सृजन और आर्थिक गतिविधियों के लिए राज्य स्टार्ट-अप कोष को 4,000 करोड़ रुपये प्रदान किए हैं।

उन्होंने कहा कि अभी पूंजी का ताजा निवेश 'यूपी इनोवेशन फंड' का गठन करने के लिए किया गया है जिसे बाद में स्टार्ट-अप को आरंभिक पूंजी प्रदान करने के लिए अनिवार्य किया जाएगा।

सिंह ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि उत्तर प्रदेश सरकार की योजना 2023 तक प्रत्येक जिले में कम से कम एक इनक्यूबेटर स्थापित करने की है। बयान के अनुसार अभी तक 20 जिलों में 47 इनक्यूबेटर स्थापित हो चुके हैं।

उन्होंने मुरादाबाद के युवाओं से कहा कि उनका राज्य स्टार्ट-अप की दौड़ में तीव्र गति से आगे बढ़ रहा है और वर्तमान में उत्तर प्रदेश में 6,500 से अधिक स्टार्टअप पहले से ही पंजीकृत हैं।

सिंह ने कहा कि सरकार ने ड्रोन प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए आईआईटी कानपुर में एक उत्कृष्टता केंद्र सहित राज्य में दो उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने का भी निर्णय लिया है।

उन्होंने कहा कि नोएडा स्टार्ट-अप के लिए सबसे पसंदीदा गंतव्य बन चुका है, इसके बाद गाजियाबाद, आगरा, लखनऊ और गोरखपुर का नंबर आता है और अब समय आ गया है जब पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अभिनव दिमाग वाले लोग इस स्टार्ट-अप अभियान का नेतृत्व करें।

सिंह ने कहा कि पश्चिमी क्षेत्र का हरित और कृषि समृद्ध क्षेत्र कृषि प्रौद्योगिकी और डेयरी स्टार्ट-अप के लिए फलदायक साबित हो सकता है। उन्‍होंने स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र का समर्थन करने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ओर से सभी प्रकार की सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया।