हैदराबाद : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को कहा कि भारत ने पांच टन वजन वाली श्रेणी के हेलीकॉप्टर के डिजाइन, विकास और संचालन में अपनी क्षमता दिखायी है और वैश्विक नेता बनने के लिए 10-टन वजनी भारतीय बहु-उद्देशीय हेलीकॉप्टर के डिजाइन के संबंध में प्रगति की आवश्यकता है।

सिंह ने कहा कि किसी भी प्रकार की आक्रामकता भारत के इतिहास का कभी हिस्सा नहीं रही और पिछले कुछ वर्षों में शांति, सुरक्षा और सैन्य शक्ति के बीच संबंध और गहरा हुआ है।

उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं स्वयं को मजबूत बनाने की बात करता हूं, तो मेरा अर्थ दुनिया में हमारा प्रभुत्व स्थापित करना नहीं है। भारत हमेशा ऐसा देश रहा है, जिसने यदि हथियार रखे हैं, तो वह ‘शास्त्रों’ की सुरक्षा के लिए रखे हैं। शास्त्र का अर्थ ज्ञान है। शास्त्र का अर्थ हमारे सभ्यतागत मूल्य हैं.... शास्त्र का अर्थ सच्चाई, अहिंसा एवं शांति है।’’

सिंह ने ‘चेतक’ हेलीकॉप्टर के राष्ट्र की सेवा करते हुए 60 वर्ष पूरे होने पर यहां आयोजित एक समारोह में कहा, ‘‘किसी भी प्रकार की आक्रामकता भारत के इतिहास का कभी हिस्सा नहीं रही। यदि आप पिछले कुछ वर्षों के हालात देखें, तो आप पाएंगे कि शांति, सुरक्षा और सैन्य शक्ति के बीच संबंध और गहराया है। यदि ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का संदेश दुनियाभर में पहुंचा है, तो यह हमारी मातृभूमि भारत से ही गया है।’’

रक्षा मंत्री ने कहा कि स्वदेश में तैयार और विकसित उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर ‘ध्रुव’ और उसके स्वरूप देश की ताकत का उदाहरण हैं। उन्होंने हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर को लड़ाकू अभियानों के लिए हल्के हेलीकॉप्टर में देश की क्षमता का एक और उदाहरण बताया। उन्होंने 10 टन वजनी भारतीय बहु उद्देश्यीय हेलीकॉप्टर के डिजाइन के संबंध में आगे बढ़ने की आवश्यकता पर बल दिया।

सिंह ने कहा कि एक अनुमान के मुताबिक, भारत में 1,000 से अधिक असैन्य हेलीकॉप्टर की मांग है और इतनी ही संख्या में सैन्य क्षेत्र में हेलीकॉप्टर की मांग है। उन्होंने कहा कि हेलीकॉप्टर बाजार में इस अवसर को भुनाया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि ‘रोटरी विंग’ क्षेत्र में देश के दावे को मजबूत करने के प्रयास करना भी समय की मांग है।

सिंह ने लगातार बदल रहे वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य के मद्देनजर रक्षा उत्पादन एवं तैयारी में ‘आत्मनिर्भर’ बनने का सरकार का लक्ष्य दोहराया। उन्होंने कहा कि बाहरी परिस्थितियों ने भारत के महत्वपूर्ण हथियारों और उपकरणों की सेवाक्षमता को प्रभावित किया है और इसलिए, आत्मनिर्भरता के प्रयास समय की आवश्यकता बने हुए हैं।

सिंह ने कहा कि भारत ने हमेशा सच्चाई, अहिंसा एवं शांति का मार्ग चुना है और वह किसी प्रकार की आक्रामकता का समर्थन नहीं करता।

उन्होंने घरेलू उद्योग को प्रोत्साहित करने के प्रयासों पर भी बात की। उन्होंने कहा, ‘‘डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) उन्हें नि:शुल्क प्रौद्योगिकी दे रहा है। एफडीआई (विदेशी प्रत्यक्ष निवेश) भी बढ़ाया गया है।’’

सिंह ने कहा कि रक्षा वस्तुओं की दो सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची जारी की गई हैं और तीसरी सूची भी जल्द ही जारी की जाएगी। उन्होंने सेवाओं, अनुसंधान एवं विकास संगठनों और सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के उद्योगों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलने का जिक्र किया।

उन्होंने कहा कि एमएसएमई (सूक्ष्म , लघु और मध्यम उद्यम), स्टार्ट-अप, नवोन्मेषक और शिक्षाविद रक्षा उत्पादन के नए रास्ते मिलकर तलाश रहे हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सरकार द्वारा उठाए गए अभूतपूर्व कदमों को अभूतपूर्व प्रतिक्रिया मिलेगी।

रक्षा मंत्री ने कहा कि यह सम्मेलन उन लोगों को एक उचित श्रद्धांजलि है जिन्होंने कड़ी मेहनत और समर्पण के साथ देश की सेवा की है।

‘चेतक’ राजपूत राजा महाराणा प्रताप के घोड़े का नाम था। राजनाथ ने कहा कि ‘चेतक’ हेलीकॉप्टर केवल एक मशीन नहीं है, बल्कि एक जीवंत एवं समर्पित सम्पत्ति है, जो पिछले छह दशक से राष्ट्र की सेवा कर रही है और अन्यों के लिए एक उदाहरण है।