हैदराबाद : केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत ने बुधवार को कहा कि वह आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी और वाईएसआर कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य वी विजय साई रेड्डी की जमानत रद्द करने के लिए दायर याचिकाओं पर 15 सितम्बर को आदेश देगी। यह मामला कथित रूप से एक दूसरे को लाभ पहुंचाने से संबंधित है।

इससे पहले, वाईएसआर कांग्रेस के बागी लोकसभा सांसद के रघु राम कृष्ण राजू ने अदालत में दायर एक याचिका में जगन मोहन रेड्डी पर जमानत की शर्तों का पालन नहीं करने का आरोप लगाते हुए उनकी जमानत रद्द करने का अनुरोध किया है। याचिका में जगन मोहन रेड्डी पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से गवाहों को प्रभावित करने का भी आरोप लगाया है।

इसके बाद, राजू ने विजय साईं पर जमानत की शर्तों का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए उनकी जमानत रद्द करने का अनुरोध करते हुए एक और आवेदन दायर किया था।

अदालत ने पिछले महीने जगन की जमानत रद्द करने के अनुरोध संबंधी याचिका पर अपना फैसला 25 अगस्त तक के लिए सुरक्षित रख लिया था।

याचिकाकर्ता के वकील एस श्री वेंकटेश ने कहा कि विजय साईं की जमानत रद्द करने के अनुरोध वाली अर्जी के संबंध में बुधवार को दोनों पक्षों की दलीलें पूरी हो गईं। न्यायाधीश दोनों जमानत रद्द करने के आवेदनों पर 15 सितम्बर को आदेश देंगे।

याचिकाकर्ता के अनुसार, जगन और विजय साई ने जमानत की शर्तों का उल्लंघन किया और जगन भी मामलों में देरी करने की कोशिश कर रहे है।

सीबीआई ने वाईएसआर कांग्रेस अध्यक्ष (जगन) और अन्य के खिलाफ 11 आरोप पत्र दायर किए थे और उन्हें मुख्य आरोपी के रूप में नामित किया गया है, जबकि विजय साई कथित मामले में दूसरे आरोपी हैं।

एजेंसी ने जगन के खिलाफ दायर आरोपपत्र में आरोप लगाया था कि उनके पिता वाईएस राजशेखर रेड्डी के कार्यकाल के दौरान कथित तौर पर विभिन्न व्यक्तियों और फर्मों को लाभ पहुंचाने की एवज में उनकी ओर से जगन के व्यवसायों में कई करोड़ रुपये का निवेश किया गया था। राजशेखर रेड्डी 2004 से 2009 के बीच आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री थे।

सीबीआई ने यह भी आरोप लगाया था कि ये निवेश भूमि आवंटन और लाइसेंस जैसे सरकारी मदद के लिए किए गए थे। एजेंसी ने आरोप लगाया कि जगन ने अपने दिवंगत पिता के पद का दुरुपयोग कर बड़ी संपत्ति अर्जित की।

इस मामले में कई पूर्व मंत्री और नौकरशाह भी आरोपी हैं। जगन और विजय साई फिलहाल जमानत पर हैं। मई 2012 में गिरफ्तारी के 15 महीने बाद जगन को सितंबर 2013 में जमानत मिलने पर यहां जेल से रिहा किया गया था।

जगन को जमानत देते समय सीबीआई की विशेष अदालत ने उन्हें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से गवाहों को प्रभावित नहीं करने का आदेश दिया था।

जगन के करीबी सहयोगी विजय साई, जिन्होंने जगन की समूह कंपनियों के लिए वित्तीय सलाहकार के रूप में काम किया था, 2012 में इस मामले में गिरफ्तार होने वाले पहले व्यक्ति थे। अक्टूबर 2013 में उन्हें जमानत मिल गई थी।