मदुरै : तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने बृहस्पतिवार को मदुरै में सरकारी प्राथमिक विद्यालयों के विद्यार्थियों (पहली से पांचवीं तक के) के लिए निशुल्क जलपान योजना शुरू की। इस मौके पर उन्होंने खाना परोसा तथा बच्चों के साथ भोजन किया।

कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए स्टालिन ने कहा कि यह योजना गरीब लोगों के जीवन में लाभकारी बदलाव लाएगी। उन्होंने इसे इतिहास में जगह बनाने वाली पहल करार दिया।

अमेरिका और यूरोप में इस तरह की पहल का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि कई अध्ययनों का निष्कर्ष यह है कि इस तरह के जलपान कार्यक्रमों से सीखने के कौशल में सुधार हुआ और विद्यालय में विद्यार्थियों की उपस्थिति भी बढ़ी।

उन्होंने कहा कि प्रतिष्ठित नेताओं, पेरियार ईवी रामासामी, सी एन अन्नादुरई और एम करुणानिधि का दृष्टिकोण था कि शिक्षा हासिल करने की राह में गरीबी और जाति समेत कोई भी बाधा नहीं होनी चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे नेताओं की राह पर चलते हुए जब वह उनके सपनों को पूरा कर रहे हैं तो उन्हें असीम आनंद का अनुभव हो रहा है।

स्टालिन ने कहा कि वर्ष 1900 की शुरुआत में जब चेन्नई में कर्नल ऑल्कॉट विद्यालय स्थापित किया गया, तो समाज सुधारक पंडिथार अयोथी थसर ने विद्यार्थियों को दोपहर का भोजन उपलब्ध कराने की शुरूआत की थी।

स्टालिन ने कहा कि पहली बार वर्ष 1922 में चेन्नई कॉर्पोरेशन स्कूल में जस्टिस पार्टी के दिग्गज नेता और महापौर पिट्टी थेगरयार ने मध्याह्न भोजन योजना शुरू की थी। थेरगयार द्रविड़ आंदोलन के अग्रदूत थे।

उन्होंने कहा , लेकिन आजादी से कुछ महीने पहले ब्रिटिश शासन ने वित्तीय बाधाओं का हवाला देते हुए मध्याह्न भोजन योजना को बंद कर दिया था। स्टालिन के मुताबिक वर्ष 1955 में पूर्व मुख्यमंत्री के कामराज ने मध्याह्न भोजन योजना का उद्घाटन किया।

चेन्नई के सरकारी स्कूलों के निरीक्षण के दौरान स्टालिन ने कहा कि उन्हें पता चला है कि कई बच्चे बिना जलपान किए ही स्कूल आ गए। ऐसे परिदृश्य पर विचार करते हुए उन्होंने कहा कि भूखे छात्रों को पढ़ाया नहीं जाना चाहिए और यही कारण है कि जलपान योजना शुरू की गई है।

स्टालिन ने कहा, ‘‘खर्च 12.75 रुपये प्रति बच्चा प्रतिदिन है। लेकिन मैं प्रशासनिक अर्थ में खर्च शब्द का उपयोग कर रहा हूं। असल में यह व्यय नहीं है। यह मेरा और हमारी सरकार का कर्तव्य है।’’

उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम न तो ‘मुफ्त सौगत’ हैं और न ही रियायत हैं बल्कि, यह सरकार का कर्तव्य और जिम्मेदारी है।

उन्होंने कहा कि बच्चों को नि:शुल्क प्रदान की जाने वाली इस योजना का मुख्य उद्देश्य भुखमरी और कुपोषण की रोकथाम करने समेत कामकाजी महिलाओं के बोझ को कम करना है।

कुल 33.56 करोड़ रुपये के आवंटन वाली इस योजना को 1545 विद्यालयों में लागू किया जाएगा जिससे राज्यभर के 1,14,095 विद्यार्थियों को लाभ होगा।