हरिद्वार,12 अप्रैल (हि.स.)। सनातन संस्कृति के उन्नयन को लेकर संतों की एक बैठक उत्तरी हरिद्वार स्थित झालावाड़ गुजराज आश्रम में सम्पन्न हुई। बैठक में संतों ने सनातन संस्कृति के उत्थान को लेकर चर्चा की।





बैठक में संतों ने कहा कि सनातन संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृति है। ज्ञान का अपार भण्डार होने के कारण सनातन संस्कृति को विश्व ने स्वीकारा। इसके विस्तार के कारण इसमें कुछ दोष भी उत्पन्न कर दिए गए, उनका कैसे निवारण किया जाए, इस पर भी संतों ने अपने अपने विचार प्रकट किए। संतों ने समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने के संबंध में भी मंथन किया। संतों ने कहाकि जाति-भाषा आदि की कुरीतियां समाज में विखण्डन का कार्य कर रही हैं। कुछ ऐसे तत्व भी हैं, जो सनातन को बदनाम करने का कार्य कर रहे हैं। जबकि सनातन धर्म सर्वे भवंतु सुखिन व वसुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा को आत्मसात करने वाला है।

संतों ने कहा कि विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृति सनातन है। यह विशाल है, इसे वट वृक्ष की भांति किस प्रकार से और विशाल बनाकर समाज में समरसता का भाव उत्पन्न हो इस पर सभी को साथ लेकर आगे बढ़ना है।



बैठक में महामण्डलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद गिरि, स्वामी रूपेन्द्र प्रकाश, स्वामी ललितानंद गिरि, बाबा बलराम दास हठयोगी, स्वामी ऋषिश्वरानंद, महंत विष्णुदास समेत कई संत मौजूद रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/रजनीकांत/सुनील