समृद्ध परंपराओं से सीख लेकर चिकित्सा विज्ञान के विकास के लिए हो कार्य : राज्यपाल

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जयपुर, 12 मार्च (हि.स.)। राज्यपाल कलराज मिश्र ने भारत की प्राचीन समृद्ध भारतीय चिकित्सा परंपराओं से सीख लेकर आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के प्रभावी विकास के लिए कार्य करने का आह्वान किया है। उन्होंने शारीरिक व्याधियों की पहचान और रोग निदान में कृत्रिम बुद्धिमता (एआइ) के उपयोग की संभावनाओं पर भी कार्य किए जाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के संदर्भ में चिकित्सा शिक्षा के पाठ्यक्रमों को निरंतर अपडेट किया जाए।

मिश्र मंगलवार को राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के नवें दीक्षान्त समारोह में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने एआई साक्षरता बढ़ाने के साथ दूरदराज के क्षेत्रों में स्वास्थ्य, सेवाओं को किफायती और सुलभ बनाने में भी इसके उपयोग की संभावनाएं तलाशे जाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि नवीन शिक्षा नीति के आलोक में राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालयअपने यहां आधुनिक पाठ्यक्रमों की पहल करे एंव चिकित्सा विज्ञान में नवाचार को प्रोत्साहित करे।

राज्यपाल ने कहा कि चिकित्सको एंव विधार्थियों को चाहिए कि वे चिकित्सा क्षेत्र में वैश्विक आवश्यकताओं के अनुरूप शोध की मौलिक दृष्टि का विकास करे। प्रयास करे कि राजस्थान की चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं देश ही नहीं विश्वभर में अग्रणी बने। उन्होंने भावी चिकित्सकों को सस्ती और सबके लिए सुलभ चिकित्सा के लिए, पीड़ित मानवता के कष्ट दूर करने को अपना धर्म मानते हुए कार्य करने और चिकित्सा को व्यवसाय नहीं बल्कि मानव सेवा मानते हुए कार्य किए जाने का भी आह्वान किया।

राज्यपाल ने स्वर्ण पदक प्राप्त करने वालों में छात्राओं की अधिक संख्या पर प्रसन्नता जताई। उन्होंने कहा कि जहां बालिकाएं पढ़ती है, वही समाज आगे बढ़ता है। समाजोत्थान के लिए महिलाओं को अधिकाधिक अवसर प्रदान किए जाने की आवश्यकता है।

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने कहा कि हमारी 65 प्रतिशत जनसंख्या युवा है। इन युवाओं पर ही देश का भविष्य निर्भर करता है। उन्होंने डिग्री प्राप्त करने वाले युवाओं को बधाई देते हुए कहा कि चिकित्सा नोबल प्रोफेशन है और भावी चिकित्सकों पर ही सबसे अधिक देश की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि भारत में विश्व भर में कैंसर और हृदय रोग के सर्वाधिक रोगी हैं। उन्होंने चिकित्सकों को भगवान का रूप बताते हुए कहा कि डॉक्टर इमानदारी और नैतिक मूल्यों को सर्वोपरि रखते हुए रोग निदान के लिए कार्य करें।

समारोह में एमेरिट्स मेडिसिन विभाग, एमजीएमसीआरआई, पुडुचेरी के डॉ. ए.के. दास और भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति के मुख्य संरक्षक आई संस्थापक डी. आर. मेहता ने चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र की नवीन संभावनाओं और भविष्य की चुनौतियों के साथ चिकित्सकों आलोक में विचार रखे। कुलपति डॉ. सुधीर भंडारी ने विश्वविद्यालय का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।

राज्यपाल ने इससे पहले डॉ. परेश किशोर चंद्र डोशी, डॉ. सुनील कल्ला, डॉ. शशांक आर. जोशी, डा. अरविंद बग्गा को डॉक्टर ऑफ़ फिलोसॉफी और डॉक्टर ऑफ़ साइंस की मानद उपाधि प्रदान की। इन सभी ने इस सम्मान के लिए अपना आभार जताया। बाद में राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों के विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक, कुलाधिपति स्वर्ण पदक और विषयवार उपाधियां प्रदान की।

हिन्दुस्थान समाचार/ दिनेश सैनी/ईश्वर