नागपुर,: महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के चार आदिवासी छात्रों ने राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) 2022 उत्तीर्ण करके डॉक्टर बनने और अपने समुदाय की सेवा करने का सपना साकार की तरफ कदम बढ़ाया है।

खेतिहर मजदूरों और सीमांत किसानों के परिवारों से संबंधित इन छात्रों ने न्यूनतम संसाधनों के साथ नीट 2022 उत्तीर्ण की है। नीट के परिणाम आठ सितंबर को घोषित किए गए थे।

छात्र अरुण लालसू मत्तमी (18) ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बात करते हुए कहा कि वह हमेशा एक डॉक्टर बनने का सपना देखते थे, लेकिन जहां वह रहते हैं वहां शिक्षा आसानी से उपलब्ध नहीं होती।

अरुण भामरागढ़ तालुका की एक आदिवासी बस्ती से हैं। उन्होंने कक्षा चार से आगे अहेरी में और 12वीं की पढ़ाई भामरागढ़ में छात्रावास में रहकर की।

विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह के रूप में वर्गीकृत माडिया गोंड समुदाय से संबंधित अरुण ने नीट-2022 में 720 में से 450 अंक प्राप्त किए हैं।

अरुण के माता-पिता किसान हैं, जो जीविकोपार्जन के लिए छोटे-मोटे काम करते हैं।

अरुण ने कहा, “मैं नीट परीक्षा देने को लेकर असमंजस में था, क्योंकि मेरा परिवार कोचिंग की फीस वहन नहीं कर सकता था। हालांकि, मेरे एक शिक्षक ने मेरा संपर्क मुफ्त कोचिंग प्रदान करने वाले संगठन ‘लिफ्ट फॉर अपलिफ्टमेंट’ (एलएफयू) से कराया।”

पुणे में बीजे मेडिकल कॉलेज के छात्रों और पूर्व छात्रों द्वारा स्थापित, एलएफयू वंचित एवं आर्थिक रूप से कमजोर उन छात्रों के लिए काम करता है, जो निजी कोचिंग हासिल नहीं कर पाते।

सपना जवारकर (17) के लिए, नीट परीक्षा में भाषा प्रमुख बाधाओं में से एक थी।

अमरावती जिले के मेलघाट के मखला गांव के एक सीमांत किसान की बेटी सपना ने कहा, “मेरे लिए परीक्षा के लिए अध्ययन करना मुश्किल था। भाषा एक बाधा थी, क्योंकि अंग्रेजी समझना मेरे लिए मुश्किल था।”

सपना और अरुण के अलावा, भामरागढ़ के आदिवासी छात्रों सचिन अर्की और राकेश पोडाली ने भी एलएफयू में विशेषज्ञ सलाहकारों के मार्गदर्शन में परीक्षा उत्तीर्ण की है।