नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर जारी सैन्य टकराव का हल निकालने के लिए भारत और चीन के सैन्य कमांडरों के बीच सोमवार को बहुचर्चित छठे दौर की वार्ता हुई। इस दौरान आमने-सामने के सैन्य टकराव के हालात खत्म करने से लेकर एलएससी से सैनिकों को हटाने के एजेंडे पर चर्चा हुई।

विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीनी विदेशमंत्री वांग यी के बीच 10 सितंबर को मास्को में तनाव घटाने के लिए पांच सूत्री फार्मूले पर बनी सहमति को जमीनी स्तर पर आगे बढ़ाना दोनों देशों के लिए चुनौती है।

इस चुनौती के मद्देनजर ही सैन्य कमांडर स्तर की वार्ता में भारत ने विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव स्तर के एक अधिकारी को अपने प्रतिनिधिमंडल में शामिल किया।

सेना की 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरजिंदर सिंह ने बातचीत में भारतीय दल की अगुआई की। इस दौरान सेना मुख्यालय ने एक और लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन को भी इस वार्ता के लिए विशेष रूप से भेजा है। मेनन को जल्द ही 14वीं कोर का अगला कोर कमांडर बनाया जाना है।

भारत के चुशूल सेक्टर के निकट चीन के मोल्डो में हुई इस वार्ता में चीनी पक्ष का नेतृत्व दक्षिणी जिनजियांग क्षेत्र के कमांडर मेजर जनरल लियू लिन ने किया। बताया जाता है कि चीनी दल में भी वहां के विदेश मंत्रालय के अधिकारी शामिल थे।

कमांडर स्तर के छठे दौर की वार्ता के नतीजों को लेकर दोनों पक्षों की ओर से अभी कोई जानकारी साझा नहीं की गई है। हालांकि सरकारी सूत्रों ने यह जरूर कहा कि एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) पर तनाव घटाने और गतिरोध खत्म करने के लिए सैनिकों को पीछे हटाना सबसे अहम है और बातचीत का एजेंडा इसी पर केंद्रित है।

मालूम हो कि मास्को में दोनों विदेश मंत्रियों ने सीमा पर जारी टकराव के बीच सैन्य व कूटनीतिक वार्ताओं को आगे बढ़ाने के लिए पांच बिंदुओं पर सहमति जताई थी। इसमें कहा गया था कि इन पांच सूत्री बातों पर दोनों देश आगे बढ़े तो एलएसी का गतिरोध खत्म हो सकता है और सीमा पर शांति बहाली संभव है। हालांकि इस सहमति के बाद भी सैन्य कमांडर वार्ता के लिए दस दिन लग गए।