रांची, 20 अप्रैल (हि.स.)। झारखंड में हो रहे लोकसभा चुनाव में इस बार सबकी निगाहें सिंहभूम सीट पर टिकी है। इस सीट पर पहली बार दो महिला उम्मीदवार आमने-सामने हैं। सिंहभूम के इतिहास में पहली बार है कि मुख्य मुकाबले में महिला उम्मीदवार हैं। भाजपा की गीता कोड़ा और झामुमो की जोबा मांझी के बीच कांटे का मुकाबला माना जा रहा है। यहां 13 मई को वोट डाले जाएंगे।

चुनावी अखाड़े में भाजपा ने निवर्तमान सांसद गीता कोड़ा को उतारा है जबकि इंडी गठबंधन ने हेमंत सरकार में महिला एवं बाल विकास मंत्री रहीं जोबा मांझी पर भरोसा जताया है। दोनों उम्मीदवार अपनी-अपनी विधानसभा सीटों पर भी मजबूत पकड़ रखती हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि सामाजिक ताने-बाने में झामुमो की जमीनी पकड़ भाजपा से बेहतर नजर आती है। इस कारण ही चाईबासा की सभी छह विधानसभा सीटों पर झामुमो-कांग्रेस का एकतरफा कब्जा है। हालांकि, विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव का वोटिंग पैटर्न अलग होता है।

सिंहभूम लोकसभा सीट पर 2019 की मोदी लहर में भी कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में गीता कोड़ा ने जीत का परचम लहराया था। पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा ने इस बार कांग्रेस छोड़ कमल का दामन थाम लिया है। भाजपा ने गीता कोड़ा को ही सिंहभूम से टिकट देकर चुनाव में उतार दिया है। गीता हो जनजाति से आती हैं। सिंहभूम लोकसभा सीट हो बहुल है।लोकसभा क्षेत्र में करीब 56 प्रतिशत आबादी हो जनजातियों की है। इसके बाद पिछड़ा वर्ग में कुर्मी-महतो के बाद संथालों की आबादी है।

स्थानीय जानकारों का दावा है कि जगन्नाथपुर विधानसभा में निश्चित रूप से मधु कोड़ा की पकड़ मजबूत है लेकिन उनके सामने इस संभावित लीड को सरायकेला, चाईबासा, मझगांव, मनोहरपुर और चक्रधरपुर विधानसभा में बनाये रखने की चुनौती होगी। गीता कोड़ा की उम्मीदवारी के सहारे इस बार वहां कमल खिलाने का ख्वाब भाजपा का है। गीता कोड़ा की जीत में झामुमो की सियासी जमीन का कितना बड़ा योगदान था, यह भी एक बड़ा सवाल है। इस हालात में देखना दिलचस्प होगा कि झामुमो की इस ताकत के बगैर गीता कोड़ा कितना दम-खम दिखला पाती हैं।

सिंहभूम लोकसभा सीट से 1991 में झामुमो के कृष्णा मार्डी ने संथाल होते हुए भी हो बहुल लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीता था। इसके बाद हुए चुनाव में झामुमो लोकसभा सीट नहीं जीत सकी। पिछले दो दशकों से चुनाव में गठबंधन की राजनीति में सिंहभूम सीट सहयोगी दलों के खाते में चले जाने की वजह से झामुमो लोकसभा सीट पर उम्मीदवार खड़ा नहीं कर पाता था। वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में सिंहभूम लोकसभा की सभी छह विधानसभा सीटें इंडिया गठबंधन ने जीत ली थी। झामुमो के कब्जे में पांच सीटें सरायकेला, चाईबासा, मझगांव, मनोहरपुर और चक्रधरपुर हैं।

जगन्नाथपुर सीट कांग्रेस के कब्जे में है। भाजपा गठबंधन के पास विधानसभा की सीटें नहीं है। ऐसे में जोबा मांझी की सिंहभूम लोकसभा सीट पर संथाल होते हुए दावेदारी को कमजोर नहीं आंका जा सकता। संयुक्त बिहार और झारखंड सरकार में कई बार मंत्री रह चुकीं जोबा मांझी वर्ष 1995 से लेकर 2019 तक के विधानसभा चुनाव में सिर्फ एक बार 2009 में ही हारी हैं। वर्ष 1995, 2000, 2005, 2014 और 2019 में वह मनोहरपुर विधानसभा से लगातार चुनाव जीतती रही हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/ वंदना/चंद्र प्रकाश