हैदराबाद,:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में समावेश के वाहक के तौर पर प्रौद्योगिकी की महत्ता पर जोर देते हुए मंगलवार को कहा कि प्रौद्योगिकी एवं प्रतिभा भारत की विकास यात्रा के दो स्तंभ हैं।

मोदी ने यहां हो रहे द्वितीय संयुक्त राष्ट्र विश्व भू-स्थानिक सूचना सम्मेलन में एक वीडियो संदेश के जरिए कहा कि देश अंत्योदय के सपने को साकार करने की दिशा में काम कर रहा है, जिसका उद्देश्य अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति को भी सशक्त बनाना है।

उन्होंने कहा कि यह ऐसा अभियान है, जिसने अंतिम पंक्ति में भी खड़े व्यक्ति के सशक्तीकरण के लिए बड़े पैमाने पर हमारा मार्गदर्शन किया है।

मोदी ने कहा, ‘‘बैंकिंग सुविधाओं से रहित 45 करोड़ लोगों को बैंकिंग सेवाएं मुहैया कराई गईं। यह संख्या अमेरिका की आबादी से भी अधिक है। बीमा सुविधाओं से रहित 13 करोड़ 50 लाख लोगों का बीमा कराया गया और यह आबादी फ्रांस की जनसंख्या के बराबर है। ग्यारह करोड़ परिवारों को स्वच्छता सुविधाएं और छह करोड़ से अधिक परिवारों को नल जल की सुविधा पहुंचाकर भारत सुनिश्चित कर रहा है कि कोई पीछे न छूट जाए।’’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘भारत एक युवा देश है, जिसका कुछ नया सोचने का जज्बा गजब का है। हम दुनिया के शीर्ष स्टार्टअप केंद्र हैं। देश में 2021 के बाद से यूनिकॉर्न स्टार्ट-अप की संख्या करीब दोगुनी हो गई है। यह भारत की युवा आबादी के कारण है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘भारत की विकास यात्रा में प्रौद्योगिकी और प्रतिभा दो अहम स्तंभ हैं। आइए, पहले स्तंभ पर गौर करते हैं। प्रौद्योगिकी परिवर्तन लाती है। आपमें से कई लोगों ने संभवत: सुना होगा कि भारत तत्काल डिजिटल भुगतान के मामले में दुनिया में शीर्ष स्थान पर है और यहां तक कि लघु विक्रेता भी डिजिटल भुगतान को न केवल स्वीकार करते हैं, बल्कि उसे प्राथमिकता देते हैं।’’

उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी के जरिए ही सरकार ने कोविड-19 के दौरान गरीबों की मदद की और प्रौद्योगिकी आधारित ‘जैम’ ने 80 करोड़ लोगों का निर्बाध कल्याण किया।

‘जैम’ का अर्थ केंद्र की मुख्य जन धन योजना, आधार डेटाबेस और व्यक्ति का मोबाइल नंबर है, जिसके जरिए सरकार लाभार्थियों के बैंक खाते में कल्याणकारी योजनाओं के तहत धन भेजती है।

मोदी ने कहा कि कोविड-19 से दुनिया को सभी को साथ लेकर चलने की सीख लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस वैश्विक महामारी ने बताया कि संकट के दौरान एक-दूसरे की मदद के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा संस्थागत दृष्टिकोण अपनाए जाने की आवश्यकता है।

उन्होंने सुझाव दिया कि संयुक्त राष्ट्र जैसे वैश्विक संगठन हमारे क्षेत्र में आखिरी व्यक्ति तक संसाधनों को ले जाने का मार्ग प्रशस्त करें। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन से निपटना एवं प्रौद्योगिकी हस्तांतरण भी अहम है।

प्रधानमंत्री ने समावेशी विकास में भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी की भूमिका का जिक्र करते हुए कहा कि ‘पीएम गतिशक्ति मास्टर प्लान’ ‘डिजिटल ओशन’ मंच की तरह भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी द्वारा संचालित किया जा रहा है।

‘डिजिटल ओशन’ भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (आईएनसीओआईएस) द्वारा विकसित वेब आधारित एप्लीकेशन है, जो भूस्थानिक प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर महासागरीय आंकड़ों के प्रबंधन में मदद करेगा।

प्रधानमंत्री ने भारत के पड़ोसी देशों में संचार सुविधा के लिए ‘साउथ एशिया सैटेलाइट’ का जिक्र करते हुए कहा कि भारत भूस्थानिक प्रौद्योगिकी के लाभ साझा करने के मामले में पहले ही मिसाल कायम कर चुका है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम गांवों में संपत्तियों का नक्शा बनाने के लिए ड्रोन का उपयोग कर रहे हैं। उनके डेटा का उपयोग करके, ग्रामीणों को संपत्ति कार्ड दिए जा रहे हैं। दशकों में पहली बार ग्रामीण इलाकों में लोगों के पास स्वामित्व के स्पष्ट दस्तावेज हैं। आप जानते हैं कि कैसे संपत्ति के अधिकार दुनिया में कहीं भी समृद्धि का आधार हैं और महिलाओं को स्वामित्व की प्रमुख लाभार्थी बनाकर इस समृद्धि को और तेज किया जा सकता है।’’

मोदी ने कहा कि केंद्र की सार्वजनिक आवास योजना ने करीब दो करोड़ 40 लाख गरीब परिवारों को आवास मुहैया कराया है और इनमें से करीब 70 प्रतिशत मकानों में महिलाएं संयुक्त स्वामी हैं।

उन्होंने भारत की विकास यात्रा के दूसरे स्तंभ- प्रतिभा की बात करते हुए कहा कि भारत आजादी के 75 साल मना रहा है और देश में अब प्रतिभावान युवाओं को नए अवसर मिल रहे है।

उन्होंने कहा कि दो शताब्दियों में एकत्र किए गए सभी डेटा तक पहुंच अचानक नि:शुल्क और सुलभ हो गई है और भू-स्थानिक डेटा का संग्रह, निर्माण और डिजिटलीकरण अब लोकतांत्रिक हो गया है।

मोदी ने कहा कि भूस्थानिक क्षेत्र के साथ ही देश ने ड्रोन उद्योग को महत्वपूर्ण प्रोत्साहन दिया है और अंतरिक्ष क्षेत्र भी निजी भागीदारी के लिए खुल गया है।

आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, प्रधानमंत्री ने भूस्थानिक प्रौद्योगिकी से पैदा होने वाली अनगिनत संभावनाओं को रेखांकित किया, जिनमें सतत शहरी विकास, आपदाओं का प्रबंधन एवं न्यूनीकरण, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर नजर रखना, वन प्रबंधन, जल प्रबंधन, मरुस्थलीकरण को रोकना और खाद्य सुरक्षा शामिल है।