सोनीपत (हरियाणा) : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सर संघचालक मोहन भागवत ने सोनीपत जिले के मुरथल स्थित श्री रामकृष्ण साधना केंद्र में संत श्री प्रभुदत्त महाराज और स्वामी ब्रह्म प्रकाश की प्रतिमाओं का अनावरण किया।

उन्होंने कहा कि संत अपने आचरण से समाज को दिशा देते हैं, वे इस दुनिया में भले ही रहते हों पर यहां के होते नहीं है। लोगों के कल्याण के लिए ही वे धरती पर आते है।

भागवत ने संस्कारों को आत्मसात करके जीवन में उतारने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि मूर्ति स्थापना का लक्ष्य तभी सार्थक होगा जब समाज में संस्कारों का संपूर्ण चित्रण स्थापित हो।

भागवत ने अध्यात्म और राष्ट्र को जोड़ते हुए लोगों को प्रोत्साहित किया कि अच्छी सोच के साथ आगे बढ़ते हुए राष्ट्र निर्माण को मजबूती दें।

संत कौन हैं, इसे समझाते हुए उन्होंने 500 वर्ष पूर्व हुए संत तुकाराम का उदाहरण दिया।

उन्होंने कहा कि संत तुकाराम कहते थे कि वे वैकुंठ (भगवान विष्णु का लोक) के रहने वाले हैं, जो धरती पर ऋषियों की बातों को जीवन में उतारकर लोगों के समक्ष सही अर्थों में प्रस्तुत करने के लिए आये हैं।

सर संघचालक ने ज्ञानेश्वर महाराज की चर्चा करते हुए कहा कि उन्होंने भगवद गीता पर टीका लिखी, जिसके बाद उन्होंने भगवान से मांगा कि लोगों के लिए संत मंडली सदैव उपलब्ध रहे।