नयी दिल्ली, सात सितंबर (भाषा) केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को ‘प्रधानमंत्री स्कूल्स फॉर राइजिंग इंडिया’ (पीएम-श्री) योजना को मंजूरी प्रदान कर दी जिसके तहत देश भर में 14,597 स्कूलों को आर्दश विद्यालय के रूप में विकसित व उन्नत किया जाएगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई । बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान एवं अनुराग ठाकुर ने यह जानकारी दी ।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने बताया कि पीएम-श्री स्कूल योजना को 2022-2027 तक पांच वर्षों की अवधि में लागू किया जायेगा। इस पर 27,360 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे जिसमें केंद्र की हिस्सेदारी 18,128 करोड़ रूपये होगी। इससे 18 लाख छात्रों को फायदा होगा।

खास बात यह है कि ये सभी स्कूल सरकारी होंगे, जिनका चयन राज्यों के साथ मिलकर किया जाएगा। इस योजना के तहत सरकार प्रत्येक प्रखंड स्तर पर कम से कम एक आदर्श विद्यालय विकसित करना चाहती है।

इसकी निगरानी के लिये पायलट परियोजना के आधार पर ‘पीएम-श्री’ स्कूलों में विद्या समीक्षा केंद्र की शुरुआत की जायेगी ।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिक्षक दिवस के अवसर पर पांच सितंबर को इसकी जानकारी देते हुए कहा था, ‘‘शिक्षक दिवस पर मैं एक नयी पहल की घोषणा कर रहा हूं। प्रधानमंत्री स्कूल्स फॉर राइजिंग इंडिया (पीएम-श्री) के तहत देश भर में 14,500 स्कूलों को विकसित व उन्नत किया जाएगा। ये सभी मॉडल स्कूल बनेंगे और इनमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति की पूरी भावना समाहित होगी।’’

प्रधानमंत्री ने कहा था कि पीएम-श्री स्कूलों में शिक्षा प्रदान करने में एक आधुनिक, परिवर्तन लाने वाला और समग्र तरीका होगा तथा इनमें खोज उन्मुख और सीखने को केंद्र में रखकर शिक्षा प्रदान करने के तरीके पर जोर रहेगा।

उन्होंने कहा था, ‘‘इसमें नवीनतम तकनीक, स्मार्ट कक्षा, खेल और आधुनिक अवसंरचना पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने शिक्षा क्षेत्र में व्यापक बदलाव किए हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि ‘पीएम-श्री’ स्कूल देश भर के लाखों छात्रों को फायदा पहुंचाएंगे।

आदर्श विद्यालय में सभी छात्रों के लिए एक सुरक्षित, प्रोत्साहित करने वाले शैक्षिक वातावरण में सीखने एवं विविध अनुभव प्रदान करने वाली अच्छी ढांचागत व्यवस्था एवं समुचित संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने की बात कही गई है । इसमें स्कूलों में उपस्थिति बढ़ाना तथा बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया जायेगा तथा शिक्षा तक पहुंच सुगम बनाकर स्कूल बीच में छोड़ने को हतोत्साहित किया जायेगा।

ये स्कूल राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के कार्यान्वयन में मदद करेंगे और अपने-अपने क्षेत्रों में उत्कृष्टता के अनुकरणीय विद्यालयों के रूप में उभरेंगे ।

इन स्कूलों में अपनायी जाने वाली शिक्षा व्यवस्था अधिक प्रायोगिक, समग्र, एकीकृत, वास्तविक जीवन की स्थितियों पर आधारित, जिज्ञासा एवं शिक्षार्थी केंद्रित होगी। इनमें स्मार्ट कक्षा, पुस्तकालय, कौशल प्रयोगशाला, खेल का मैदान, कंप्यूटर प्रयोगशाला, विज्ञान प्रयोगशाला आदि सभी सुविधाएं होंगी।