नयी दिल्ली : शिवसेना के सांसद बागी नेता एकनाथ शिंदे के खेमे में शामिल होने को लेकर असमंजस में हैं और अभी उन्होंने इस संबंध में कोई फैसला नहीं किया है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेताओं का हालांकि दावा है कि कम से कम 12 लोकसभा सदस्य उनके संपर्क में हैं।

भाजपा के एक केंद्रीय मंत्री ने दावा किया कि महाराष्ट्र में शिवसेना में विभाजन का लोकसभा पर भी असर पड़ेगा क्योंकि कुल 19 में से कम से कम 12 लोकसभा सदस्य दल बदलने के लिए तैयार हैं।

लोकसभा में शिवसेना के 19 सदस्यों में दादरा और नगर हवेली का एक सदस्य भी शामिल है। राज्यसभा में इसके तीन सदस्य हैं।

कल्याण से दो बार लोकसभा सदस्य रहे शिंदे के बेटे श्रीकांत पहले ही अपने पिता के खेमे से जुड़ चुके हैं, जबकि यवतमाल से पांच बार की सांसद भावना गवली ने तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर हिंदुत्व के संबंध में बागी नेताओं की शिकायतों पर विचार करने का आग्रह किया है।

गवली अपने द्वारा चलाए जा रहे एक गैर-सरकारी संगठन से जुड़े धनशोधन के आरोपों को लेकर प्रवर्तन निदेशालय के निशाने पर हैं।

गोवा में बागी विधायकों के साथ रहे श्रीकांत (35) से प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी है।

लोकसभा सदस्यों का एक वर्ग असमंजस में है क्योंकि उनके निर्वाचन क्षेत्रों के कई विधायक शिंदे के पक्ष में थे और नई व्यवस्था के तहत विकास परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता से आशंकित थे।

लोकसभा में शिवसेना के नेता विनायक राउत ने कहा, ‘‘शिवसेना संसदीय दल पर बगावत का कोई असर नहीं पड़ा है।’’

उस्मानाबाद से लोकसभा सदस्य ओमराजे निंबालकर ने कहा कि वह ठाकरे के साथ हैं और शिवसेना प्रमुख के निर्देश पर 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में अपना वोट डालेंगे।

विदर्भ क्षेत्र से शिवसेना के एक लोकसभा सदस्य ने कहा, ‘‘विभाजन शिवसेना के विधायक दल में है, आप संसदीय इकाई को इसमें क्यों घसीटना चाहते हैं।’’

राज्यसभा सदस्य अनिल देसाई, संजय राउत और प्रियंका चतुर्वेदी हैं, जो सभी ठाकरे परिवार के करीबी माने जाते हैं।