कंपनी के प्रवर्तक इलेक्ट्रिक वाहनों के अधिक से अधिक घटकों को भारत में बनाने और चीन से आयात पर निर्भरता कम करने के लिए हरियाणा के धारूहेड़ा में एक बैटरी संयंत्र स्थापित करने के लिए 15 करोड़ रुपये का निवेश कर रहे हैं।

पीईएमएसपीएल के निदेशक अमन गर्ग ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘जब हम प्रौद्योगिकी की तलाश कर रहे थे, हमारे पास दो विकल्प थे- या तो यूरोपीय प्रौद्योगिकी या चीनी प्रौद्योगिकी के लिए जाएं। जैसा कि हम सभी जानते हैं, चीनी तकनीक सस्ती है, लेकिन साथ ही इसमें स्थिरता भी है। हमने फोटॉन के साथ जाने का विकल्प चुना, क्योंकि हम जल्दी उत्पाद पाना चाहते थे, और ऐसे उत्पाद चाहते थे, जो भारत के लिए उपयुक्त हों।’’

उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए हर कोई चीनी तकनीक पर निर्भर है क्योंकि यह सबसे सस्ता समाधान है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम खुद को फोटॉन पर निर्भर नहीं मानते हैं क्योंकि हम स्थानीयकरण करना चाहते हैं।

उन्होंने आगे कहा, ‘‘जहां तक तकनीक की बात है, हम उस मोर्चे पर भी काम कर रहे हैं लेकिन इसमें थोड़ा समय लगेगा... मेरा अनुमान है कि पांच-छह साल में हम अपनी खुद की प्रौद्योगिकी को एकीकृत कर पाएंगे।’’

गर्ग ने कहा कि उनकी कंपनी घटकों के स्थानीय विनिर्माण के संदर्भ में फेम-2 मानकों का पालन करता है, यानी 50 प्रतिशत तक स्थानीयकरण, हालांकि मोटर और बैटरी जैसे महत्वपूर्ण घटक आयात किए जाते हैं।

उन्होंने कहा कि पीईएमएसपीएल के प्रवर्तकों ने लिथियम बैटरी के विनिर्माण के लिए एक सहायक कंपनी की स्थापना की है।

उन्होंने बताया, ‘‘हम धारूहेड़ा में एक बैटरी निर्माण संयंत्र की स्थापना कर रहे हैं। हम 10-15 करोड़ रुपये के निवेश से शुरुआत कर रहे हैं। हमने 2017 में पहले ही जमीन का अधिग्रहण कर लिया था। यह निवेश पीईएमएसपीएल के जरिए नहीं, बल्कि उसके प्रवर्तकों द्वारा किया जा रहा है।’’