नयी दिल्ली/हैदराबाद : विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने शनिवार को कहा कि देश में 2026 तक 100 और भूकंप वेधशाला की शुरुआत की जाएगी।

सिंह ने कहा कि देश में इस साल के अंत तक 35 और भूकंप वेधशाला तैयार हो जाएंगी। इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ जियोमैग्नेटिज्म एंड एरोनॉमी (आईएजीए), इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ सीस्मोलॉजी एंड फिजिक्स ऑफ द अर्थ इंटीरियर (आईएएसपीईआई) की संयुक्त वैज्ञानिक सभा के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि भूकंप, भूस्खलन, चक्रवात, बाढ़ और सुनामी के संदर्भ में भारतीय उपमहाद्वीप को दुनिया के सबसे आपदा संभावित क्षेत्रों में से एक माना जाता है। उन्होंने कहा कि सरकार इन चुनौतियों का सामना करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रही है।

उन्होंने शिलांग (1897), बिहार-नेपाल (1934), असम (1950), भुज (2001), कश्मीर (2005), सिक्किम (2011) और मणिपुर (2016) के बड़े भूकंपों का जिक्र किया। केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘भारत में इस साल के अंत तक 35 और भूकंप वेधशाला तैयार हो जाएंगी और अगले पांच वर्षों में ऐसी 100 और वेधशाला होंगी।’’ उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से पिछले साढ़े छह दशकों में देश में केवल 115 भूकंप वेधशाला थी, लेकिन अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में भूकंप वेधशाला की संख्या में बढ़ोतरी होने वाली है।

केंद्रीय मंत्री ने आशा व्यक्त की कि आईएजीए-आईएएसपीईआई की संयुक्त वैज्ञानिक सभा विज्ञान से संबंधित मुद्दों पर काम करने के लिए वैश्विक समुदाय के अधिक से अधिक शोधकर्ताओं को जोड़ने में उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेगी। राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआई), हैदराबाद ने डिजिटल तरीके से इस कार्यक्रम का आयोजन किया।