चंडीगढ़ : हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने रविवार को कहा कि जब तख्त श्री पटना साहिब और नांदेड़ में तख्त श्री हजूर साहिब के लिए पृथक गुरूद्वारा प्रबंधक समितियां गठित की जा सकती हैं तो हरियाणा में ऐसा क्यों नहीं किया जा सकता।

उनका बयान हरियाणा सिख गुरूद्वारा (प्रबंधन) अधिनियम, 2014 को मान्यता मिलने पर शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक समिति के कड़े विरोध के बीच आया है।

उच्चतम न्यायालय ने पिछले महीने हरियाणा सिख गुरूद्वारा (प्रबंधन) अधिनियम, 2014 की संवैधानिक वैधता बरकरार रखी थी। हरियाणा सरकार ने राज्य में गुरूद्वारों के प्रबंधन के लिए यह कानून बनाया था।

खट्टर ने पंचकूला में ‘संगत’ को संबोधित करते हुए कहा कि हरियाणा सरकार ने सिख भावनाओं का सम्मान करते हुए उच्चतम न्यायालय ने राज्य के वास्ते पृथक गुरूद्वारा प्रबंधक समिति के गठन का जोरदार बचाव किया था।

उन्होंने कहा, ‘‘ उसके फलस्वरूप, उच्चतम न्यायालय ने हरियाणा सिख गुरूद्वारा (प्रबंधन) अधिनियम, 2014 की वैधता बरकरार रखते हुए हरियाणा के सिख संगत के पक्ष में अपना फैसला सुनाया। इस फैसले से इस धर्म की एकता निश्चित ही और मजबूत होगी।’’

अपने संबोधन से पहले मुख्यमंत्री पंचकूला के गुरूद्वारा श्री नडा साहिब में ‘अखंड पाठ साहिब’ के भोग में शामिल हुए। उन्होंने ‘गुरबाणी कीर्तन’ में भी हिस्सा लिया तथा मत्था टेका।

उन्होंने कहा कि विभिन्न स्थानों पर बनाये गये गुरूद्वारों के लिए स्थानीय समितियों की जरूरत है और पृथक गुरूद्वारा प्रबंधन समिति का गठन धर्म की एकता पर कोई प्रभाव नहीं डालने जा रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘ जब पटना साहिब, तख्त श्री हजूर साहिब, नांदेड़ और दिल्ली के लिए पृथक गुरूद्वारा प्रबंधक समितियां गठित की जा सकती हैं तो हरियाणा में ऐसा क्यों नहीं किया जा सकता। (हरियाणा में) गुरूद्वारा प्रबंधक समिति का गठन केवल गुरूद्वारों के शासन एवं प्रबंधन को सुचारू बनाने के लिए किया गया है । धार्मिक व्यवस्था सर्वोपरि है , इसलिए उसमें सरकार का कोई दखल ही नहीं है।’’

खट्टर ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार हरियाणा गुरूद्वारा प्रबंधन समिति का चुनाव 18 महीने में होगा ओर तब तक तदर्थ समिति राज्य के गुरूद्वारों का कामकाज देखेगी।