नयी दिल्ली, छह अक्टूबर (भाषा) केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने मंगलवार को कहा कि कृष्णा और गोदावरी नदियों के जल आवंटन को लेकर उच्चतम न्यायालय में दायर याचिका को वापस लेने के लिए तेलंगाना तैयार हो गया है। अब इस मामले को एक न्यायाधिकरण के विचारार्थ भेजने का रास्ता साफ हो गया है।

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के मुख्यमंत्रियों के साथ दूसरी शिखर परिषद की बैठक के बाद शेखावत ने पत्रकारों को बताया कि कावेरी नदी प्रबंधन बोर्ड (केआरएमबी) को आंध्र प्रदेश में स्थानान्तरित करने पर भी सहमति बनी है।

आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2014 (एपीआरए) के तहत केंद्रीय जल शक्ति मंत्री की अध्यक्षता में शिखर परिषद का गठन किया गया था। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के मुख्यमंत्री इसके सदस्य हैं। इसकी पहली बैठक 2016 को हुई थी।

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगनमोहन रेड्डी और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव इस बैठक में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से शामिल हुए।

शेखावत ने कहा कि बैठक बहुत ही ‘‘उपयोगी’’ साबित हुई।

उन्होंने कहा, ‘‘दोनों राज्यों के बीच कृष्णा और गोदावरी नदियों के जल आवंटन को लेकर तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री उच्चतम न्यायालय में दायर याचिका को वापस लेने पर सहमत हो गए ताकि केंद्र सरकार कानूनी राय लेने के बाद इस मामले को अंतरराज्यीय नदी जल विवाद अधिनियम, 1956 के तहत एक न्यायाधिकरण के विचारार्थ भेजने की दिशा में आगे बढ़ सके।’’

आज की बैठक के एजेंडे में गोदावरी और कृष्णा नदी प्रबंधन बोर्ड के क्षेत्राधिकार के बारे में भी फैसला लिया जाना शामिल था। छह वर्ष होने के बावजूद भी उनके अधिकार क्षेत्रों को अभी तक अधिसूचित नहीं किया गया है क्योंकि दोनों राज्यों के इस विषय पर अलग-अलग विचार रहे हैं।

शेखावत ने कहा, ‘‘केंद्र केआरएमबी और जीआरएमबी के क्षेत्राधिकार को लेकर अधिसूचना जारी करेगा। तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने इसे लेकर असहमति जताई लेकिन एपीआरए के तहत इसके लिए सर्वसम्मति जरूरी नहीं है। इसलिए, केंद्र इस बारे में अधिसूचना जारी करेगा।’’

बैठक में कृष्णा और गोदावरी नदियों पर दोनों राज्यों की ओर से चलाई जा रही नयी परियोजनाओं के बारे में विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) प्रस्तुत करने को लेकर भी चर्चा हुई।

शेखावत ने कहा कि दोनों मुख्यमंत्री ने अपने-अपने राज्यों द्वारा शुरू की गई सभी परियोजनाओं की डीपीआर प्रस्तुति प्रदान करने पर सहमति व्यक्त की है। उन्होंने आश्वासन दिया है कि इन सभी परियोजनाओं का तकनीकी मूल्यांकन जल्द से जल्द कर लिया जाएगा।

अधिनियम के अनुसार, केआरएमबी और जीआरएमबी दोनों को तकनीकी रूप से मूल्यांकन करना और उन्हें स्पष्ट करना है।