आंध्र प्रदेश सरकार ने शनिवार को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश एन वी रमन्ना और राज्य उच्च न्यायालय पर वाईएस जगन मोहन रेड्डी की अगुवाई वाली वाईएसआर कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने और गिराने का प्रयास करने का आरोप लगाया है। सरकार का कहना है कि ऐसा तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के अध्यक्ष एन चंद्रबाबू नायडू के निर्देश पर हो रहा है।

राज्य सरकार ने ये गंभीर आरोप हैदराबाद में शनिवार को की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में लगाए। राज्य सरकार ने इसे लेकर एक बयान भी जारी किया है। रेड्डी द्वारा भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एसए बोबडे को एक पत्र लिखा गया है जिसमें मुख्यमंत्री ने न्यायमूर्ति रमन्ना की नायडू से निकटता को लेकर अपने आरोपों के बारे में विस्तृत तौर पर बताया है।
इसके अलावा उनकी सरकार के फैसलों के साथ-साथ न्यायिक अधिकारियों और उनके रिश्तेदारों के खिलाफ आरोपों की जांच के खिलाफ उच्च न्यायालय द्वारा अपनाए गए प्रतिकूल रुख के बारे में भी बताया गया है। पत्र में आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के विशिष्ट निर्णयों और न्यायाधीशों के नाम सूचीबद्ध करने को लेकर विस्तृत विवरण है।

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बता दें कि सीजेआई बोबडे के बाद एन वी रमन्ना उच्चतम न्यायालय के दूसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं। यह पहली बार है जब जगन सरकार ने न्यायपालिका पर सीधा हमला किया है, हालांकि उनकी पार्टी के नेता और मंत्री तथाकथित तीन राजधानियों की योजना सहित सरकार के विभिन्न फैसलों को रोकने के लिए उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के खिलाफ बयान देते रहे हैं।

सीजेआई बोबडे को लिखे पत्र में रेड्डी ने राज्य न्यायपालिका पर टीडीपी का पक्ष लेने और पास किए आदेशों की प्रकृति में उसके हितों का ख्याल रखने, उसके खिलाफ जांच पर रोक लगाने और सुनवाई के लिए मामलों को स्वीकार करने में पक्षपात करने का आरोप लगाया है। प्रेस कॉन्फ्रेंस को मुख्यमंत्री के मुख्य सलाहकार अजय कल्लम ने संबोधित किया।

यह संभवत: पहली बार है जब किसी मुख्यमंत्री द्वारा उच्चतम न्यायालय के एक वरिष्ठ न्यायाधीश पर इस तरह के आरोप लगाए गए हैं। सरकार ने अपने बयान में कहा कि राज्य उच्च न्यायालय ने रेड्डी सरकार के फैसलों के खिलाफ कई रिट याचिकाओं को सुनवाई के लिए स्वीकार किया है, जिसमें तीन राजधानियों का विधेयक भी शामिल है।