केरल मानवाधिकार आयोग ने राज्य सरकार को राज्य में नर्सों की भर्ती करने वाली एजेंसियों की बढ़ती संख्या को नियंत्रित करने के लिए एक कानून लाने का निर्देश दिया है।

आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एंटनी डोमिनिक ने राज्य के मुख्य सचिव से कहा कि यदि जरूरत हो तो ऐसी भर्ती एजेंसियों के कामकाज को पारदर्शी बनाने और इस क्षेत्र में व्याप्त वित्तीय शोषण को समाप्त करने के लिए एक कानून लाया जाए। आयोग का हस्तक्षेप एक व्यक्ति द्वारा दायर जनहित याचिका पर विचार करने के दौरान आया, जिसमें फलते-फूलते ‘होम नर्सिंग’ उद्योग को कानून के दायरे में लाने का अनुरोध किया गया था। 

आयोग ने अपने आदेश में कहा कि घरेलू नर्सों और उनकी भर्ती एजेंसियों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। इसमें कहा गया है कि समाज में वृद्ध व्यक्तियों की संख्या भी बढ़ रही है, जिन्हें घरेलू नर्सों की सेवा की आवश्यकता है। आयोग ने जोर देकर कहा कि जो एजेंसियां नर्सों को भर्ती करती हैं, उन्हें कानून के अनुसार काम करना चाहिए और उनका नियमन समय की जरूरत है। याचिका पर विचार करते हुए राज्य के सामाजिक न्याय विभाग ने आयोग को सूचित किया कि निजी भर्ती एजेंसियों पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है।