पौड़ी : उत्तराखंड के जिलाधिकारी विजय कुमार जोगदंडे ने मंगलवार को कहा कि अंकिता भंडारी हत्या मामले में, सबूतों से किसी प्रकार की कोई छेड़छाड़ नहीं की गयी है तथा पुलिस पहले ही इसे एकत्र कर चुकी है ।

इसी रिजॉर्ट में काम करने वाली 19 वर्षीय अंकिता की रिजॉर्ट मालिक पुलकित आर्य ने अपने दो कर्मचारियों के साथ मिलकर कथित तौर पर ऋषिकेश के निकट चीला नहर में धकेल कर हत्या कर दी थी । मामले का खुलासा 22 सितंबर को आरोपियों की गिरफ्तारी से हुआ था ।

जोगदंडे ने कहा कि प्रारंभिक जानकारी में वनंत्रा रिजॉर्ट में अवैध अतिक्रमण की पुष्टि इुई थी, जिसके बाद समस्त दस्तावेजों का परीक्षण कर इसके बाहरी सुरक्षा दीवार का कुछ हिस्सा और दरवाजे को ध्वस्त कर दिया गया था।

जिलाधिकारी ने कहा कि पुलिस 22 और 23 सितंबर को ही वहां जा जाकर घटना से संबंधित साक्ष्य जुटा लिए गए थे। उन्होंने कहा कि पौड़ी के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा भी पुष्टि की गयी है कि सबूतों से किसी प्रकार की कोई छेड़छाड़ नहीं की गयी है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार और जिला प्रशासन इस घटना से जुड़े हर पहलु पर गंभीरतापूर्वक एवं तत्परता से कार्य कर रहा है।

इस बीच, अंकिता की गुमशुदगी के संबंध में प्राथमिकी दर्ज न करने तथा मामले की सूचना उच्चाधिकारियों को दिए बिना छुट्टी पर चले जाने के आरोप में यमकेश्वर के गंगा भोगपुर के पटवारी वैभव प्रताप सिंह को मंगलवार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया ।

जोगदंडे ने बताया कि यमकेश्वर के उपजिलाधिकारी से प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर कार्य में गंभीर लापरवाही बरतने के लिए सिंह को निलंबित किया गया है ।

उन्होंने बताया कि जांच में सामने आया है कि पटवारी को 19 सितंबर को अंकिता के गायब होने की जानकारी मिल गयी थी, फिर भी उन्होंने इस बारे में न तो उच्चाधिकारियों को बताया और न ही कोई कार्रवाई की ।

यह भी पता चला है कि उन्होंने ही अंकिता की गुमशुदगी की जानकारी उनके पिता बीरेन्द्र सिंह भंडारी को दी लेकिन इस संबंध में उन्होंने कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की और इसकी बजाय अगले दिन से चार दिन के आकस्मिक अवकाश पर चले गये।