जयपुर:राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने पर्यटन में स्थानीय लोगों की भागीदारी बढ़ाते हुए इसे जन उद्योग के रूप में विकसित किए जाने का आह्वान किया है।

उन्होंने पर्यटन को अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण घटक बताते हुए इससे रोजगार के अधिकाधिक सृजन की संभावनाओं पर कार्य किए जाने की आवश्यकता जताई।

मिश्र बृहस्पतिवार को इंडियन हेरिटेज होटल्स एसोसिएशन (आईएचएचए) के नौवें वार्षिक सम्मेलन के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पर्यटकों के आने से होटल उद्योग को ही लाभ नहीं होता बल्कि दूसरे उद्योगों, हस्तशिल्प और परिवहन से जुड़े स्थानीय लोगों को भी आजीविका मिलती है। इसके महत्व को देखते हुए ही विकसित राष्ट्र भी पर्यटन को अपनी अर्थव्यवस्था में प्राथमिकता से स्थान देते हैं।

उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के दौर में पर्यटन उद्योग को सबसे अधिक नुकसान झेलना पड़ा था। ऐसे में पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए और अधिक प्रभावी प्रयास किये जाने चाहिए। मिश्र ने कहा कि राजस्थान में पर्यटकों के स्वागत और आवभगत की अनूठी संस्कृति है।

प्राचीन धरोहर, स्मारकों, किले-महलों के रूप में जो पर्यटन सम्पदा राजस्थान में है, उतनी किसी और प्रदेश में नहीं है।

उन्होंने कहा कि यहां की समृद्ध पर्यटन विरासत और विविधता के प्रचार- प्रसार के लिए सभी को मिलकर कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोकप्रिय पर्यटन केंद्रो के साथ ही कम प्रचलित पर्यटन स्थलों, विरासत से जुड़े स्मारकों, किले-महलों को पर्यटन मानचित्र में पहचान दिलाई जाए। उन्होंने कहा कि हेरिटेज होटल पर्यटकों के आकर्षण का बड़ा केंद्र होते हैं। इनके साथ उस स्थान-विशेष की संस्कृति से भी यहां आने वाले पर्यटकों को जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अलग-अलग कलाओं से जुड़े लोक कलाकारों को भी हेरिटेज होटल द्वारा कला प्रदर्शन के अधिकाधिक अवसर प्रदान किए जाने चाहिए।

पंजाब के पूर्व राज्यपाल वी.पी. सिंह बदनौर ने राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत की चर्चा करते हुए इसके संरक्षण की दिशा में समन्वित प्रयास किए जाने पर बल दिया। राजस्थान विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष राव राजेंद्र सिंह ने कहा कि राजस्थान की विश्व में पर्यटन को लेकर एक अलग पहचान है। भारत में आने वाला हर तीसरा पर्यटक राजस्थान जरूर आता है।

आईएचएचए के अध्यक्ष रणधीर विक्रम सिंह मंडावा ने कहा कि देश में हेरिटेज पर्यटन को प्रोत्साहन देने के साथ ही भारतीय विरासत को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से इस दो दिन के सम्मेलन का आयोजन किया गया है।