मुंबई: निर्यात किए जाने वाले लोकप्रिय फलों पर दी जाने वाली सब्सिडी वापस लेने के केंद्र सरकार के फैसले से इस साल महाराष्ट्र से अंगूर के निर्यात में गिरावट देखने को मिल सकती है। उद्योग के प्रतिनिधियों ने यह आशंका जताई है।

महाराष्ट्र देश में अंगूर का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है। नासिक जिला इसका सबसे बड़ा अंगूर उत्पादन केंद्र है। मुंबई से लगभग 200 किमी दूर स्थित नासिक को 'भारत की अंगूर की राजधानी' भी कहा जाता है।

इसके अलावा सांगली, सातारा और राज्य के कुछ अन्य जिलों में भी अंगूर उगाने वाले कुछ स्थान हैं लेकिन अधिकांश निर्यात नासिक से ही होता है।

राज्य के अंगूर उत्पादक निर्यात सब्सिडी वापस लेने के फैसले से खुश नहीं हैं और उन्होंने केंद्र सरकार के समक्ष इस मुद्दे को उठाया है।

अंगूर उत्पादक किसानों के शीर्ष निकाय महाराष्ट्र राज्य अंगूर उत्पादक संघ (एमएसजीजीए) के एक प्रतिनिधिमंडल ने हाल में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ भारती पवार को अपनी मांगों को लेकर एक पत्र दिया है। वह नासिक से लोकसभा सदस्य भी हैं।

एमएसजीजीए के नासिक मंडल अध्यक्ष रवींद्र निमसे ने कहा, "केंद्र सरकार ने अंगूर निर्यात के लिए सब्सिडी बंद कर दी है, जिसका सीधा असर हमारी आय और लाभ मार्जिन पर पड़ेगा।" इस साल जनवरी में सब्सिडी वापस ले ली गई थी।

निमसे ने कहा, “परिवहन और विपणन सब्सिडी 40,000 रुपये प्रति कंटेनर थी, जिसे बाद में बढ़ाकर 60,000 रुपये कर दिया गया। उस समय ब्रिटेन या यूरोपीय संघ माल भेजने के लिए भाड़ा 1,800 डॉलर प्रति कंटेनर था जो बाद में बढ़कर 4,000 डॉलर हो गया और अब तो यह 7,500 डॉलर हो चुका है। सब कुछ महंगा हो गया है और ऐसे समय में सरकार ने सब्सिडी वापस ले ली है।"

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के इस कदम से फलों के विदेशी लदान पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। इस फल को केवल ताजा खाया जा सकता है और सूखे रूप में या अन्य उत्पादों के रूप में इसका उपयोग शराब, जैम, जूस, सिरका और तेल बनाने के लिए किया जा सकता है।