बेंगलुरु : कर्नाटक के राजस्व मंत्री आर अशोक ने सोमवार को दावा किया कि सिद्धरमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार जब सत्ता में थी तब उसने 1600 पीएफआई कार्यकर्ताओं के विरूद्ध दर्ज मामले वापस लिये थे और यहां तक कि पूर्व मुख्यमंत्री की तस्वीर के साथ ‘पीएफआई भाग्य’ शीर्षक वाला एक पोस्टर भी जारी किया था।

मंत्री ने अपने इस दावे के समर्थन में कुछ दस्तावेज भी जारी किये कि पिछली कांग्रेस सरकार ने पीएफआई कार्यकर्ताओं के विरूद्ध दर्ज मामले वापस लिये थे।

अशोक ने कहा, ‘‘ जब जुलाई, 2009 में भाजपा सत्ता में थी तब शिवमोगा और मैसुरु में दंगा करने के आरोप में पीएफआई और केएफडी (कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी) के 1600 कार्यकर्ताओं के विरूद्ध 175 मामले दर्ज किये गये थे।

उन्होंने कहा कि दिसंबर, 2012 में कांग्रेस विधायक तनवीर सैत ने मामलों को वापस लेने की मांग करते हुए सरकार को पत्र लिखा था और दावा किया था कि आरोपी बेगुनाह हैं। उन्होंने कहा कि 2015 में सिद्धरमैया सरकार ने पुलिस महानिदेशक और विधि सचिव की राय के विरूद्ध जाकर 175 मामले वापस लेने का आदेश दिया था।

अशोक ने कहा कि पीएफआई कार्यकर्ताओं को कोडागू , मैसुरु और मंगलुरु में इस बात का प्रशिक्षण दिया गया कि मोटरसाइकिल से जाते हुए कैसे किसी का गला रेता जाए और कैसे दंगा किया जाए जैसा कि उन्होंने बेंगलुरु के के जी हल्ली और डी जे हल्ली इलाकों में किया।

उन्होंने कहा कि ऐसी भी खबरें हैं कि केरल के सेवानिवृत पुलिस अधिकारियों ने उन्हें इस बात का प्रशिक्षण किया कि कानूनी कार्रवाई से बचते हुए कैसे हत्या की जाए।

उन्होंने दावा किया कि सिद्धरमैया ने पीएफआई का बचाव किया था तथा कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल ने कहा था कि इस इस्लामिक संगठन पर पाबंदी लगाने का सवाल ही नहीं उठता है।

मंत्री ने सवाल किया, ‘‘ अब किस इरादे से कांग्रेस नेता कह रहे हैं कि उन्होंने ही पीएफआई पर पाबंदी की मांग की थी?’’