जम्मू, 27 अगस्त (भाषा) कांग्रेस के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद के करीबी विश्वासपात्र जी एम सरूरी ने शनिवार को कहा कि आजाद अपनी स्वयं की एक पार्टी शुरू करने वाले हैं और एक पखवाड़े के भीतर इसकी पहली इकाई जम्मू-कश्मीर में गठित कर दी जाएगी।

सरूरी ने बताया कि जम्मू-कश्मीर की पांच अगस्त, 2019 से पहले की स्थिति की बहाली पार्टी के घोषणापत्र का हिस्सा होगी।

कांग्रेस की जम्मू-कश्मीर इकाई के कई प्रमुख नेताओं ने आजाद के समर्थन में पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है, जिनमें सरूरी भी शामिल हैं।

सरूरी ने कहा कि उनके नेता वैचारिक रूप से धर्मनिरपेक्ष हैं और उनके भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के इशारे पर काम करने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता।

उन्होंने यह भी दावा किया कि पूर्व मुख्यमंत्री आजाद द्वारा कांग्रेस के साथ अपने पांच दशक से अधिक पुराने संबंधों को समाप्त करने के बाद कांग्रेस के सैकड़ों वरिष्ठ नेताओं, पंचायती राज संस्था के सदस्यों और प्रमुख कार्यकर्ताओं ने इस्तीफा दे दिया है।

कांग्रेस की जम्मू-कश्मीर इकाई के पूर्व उपाध्यक्ष सरूरी ने कहा, ‘‘आजाद हमारे नए दल की शुरुआत करने से पहले अपने शुभचिंतकों से विचार-विमर्श करने के लिए चार सितंबर को जम्मू आ रहे हैं।’’

कांग्रेस से इस्तीफा देने के कुछ ही घंटे बाद आजाद ने शुक्रवार को कहा था कि वह जल्द ही अपना नया दल बनाएंगे और उसकी पहली इकाई जम्मू कश्मीर में बनायी जाएगी।

डोडा जिले में भद्रवाह के रहने वाले आजाद ने शुक्रवार रात ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मैं अभी कोई राष्ट्रीय पार्टी बनाने की जल्दबाजी में नहीं हूं लेकिन जम्मू कश्मीर में चुनाव होने की संभावना को ध्यान में रखते हुए, मैंने वहां जल्द ही एक इकाई गठित करने का फैसला किया है।’’

सरूरी ने अपना समर्थन दिखाने के लिए कई नेताओं के साथ शुक्रवार को नयी दिल्ली में आजाद से मुलाकात की थी। सरूरी ने कहा कि आजाद अगले एक पखवाड़े में पार्टी की शुरुआत की घोषणा कर देंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें खुशी है कि वह जम्मू-कश्मीर लौट रहे हैं, जहां उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में (दो नवंबर, 2005 से 11 जुलाई, 2008 तक) कार्य किया। लोग उनके शासन को स्वर्णिम युग के रूप में देखते हैं और चाहते हैं कि वह जम्मू-कश्मीर को वर्तमान स्थिति से बाहर निकालने के लिए लौट आएं।’’

उन्होंने दावा किया कि आजाद के समर्थक पूरे जम्मू-कश्मीर में हैं।

सरूरी ने कहा कि नया दल समाज के सभी वर्गों की एकता एवं विकास पर ध्यान केंद्रित करेगा और पांच अगस्त, 2019 से पहले की स्थिति बहाल किए जाने के लिए संघर्ष करेगा।

केंद्र ने पांच अगस्त, 2019 को संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द कर दिया था और तत्कालीन राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था।

सरूरी ने कहा कि आजाद के जाने के साथ ही जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस लगभग खत्म हो चुकी है। उन्होंने कहा, ‘‘आजाद से मिलकर समर्थन जताने के लिए (जम्मू-कश्मीर के) नेताओं की कतार लगी हुई है। हमें पीआरआई सदस्यों से सैकड़ों त्यागपत्र मिले हैं, जिनमें जिला और ब्लॉक विकास परिषद के सदस्य और कई नगर निगम पार्षद शामिल हैं।"

कई पूर्व मंत्रियों और विधायकों सहित 12 से अधिक नेताओं ने आजाद के समर्थन में कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है और शनिवार को नयी दिल्ली में आजाद के साथ मुलाकात के बाद पूर्व उपमुख्यमंत्री तारा चंद जैसे कई अन्य नेताओं के भी इस्तीफा देने की संभावना है।

कांग्रेस ने आजाद पर त्यागपत्र देने के बाद भाजपा के साथ ‘‘गठजोड़’’ करने का आरोप लगाया है। सरूरी ने इस आरोप का जिक्र करते हुए कहा कि उनकी आलोचना करने वाले वास्तविक सच्चाई से आंखें मूंद रहे हैं या उन्हें अपने पैरों के नीचे की जमीन खिसकती दिख रही है।

उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व पर आजाद को इस्तीफा देने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘वह एक धर्मनिरपेक्ष नेता हैं जिन्होंने पिछले पांच दशकों में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए काम किया। वास्तव में, हम सभी ने अपना खून-पसीना दिया है, लेकिन आप उस पार्टी में कैसे रह सकते हैं जो आपका अपमान कर रही हो और आपको नीचा दिखा रही हो।’’