नयी दिल्ली: विदेशों में खाद्यतेलों का बाजार टूटने से बीते सप्ताह दिल्ली तेल तिलहन बाजार में खाद्यतेल कीमतों में गिरावट का रुख देखने को मिला। घरेलू बाजार में सोयाबीन, मूंगफली और बिनौला की नयी फसल आने से खाद्यतेलों के भाव टूटते दिखे और इसका असर बाकी खाद्य तेलों पर भी पड़ा।

बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि विदेशों में खाद्यतेलों के बाजार टूटने का असर स्थानीय स्तर पर भी दिखा और खाद्य तेलों के भाव में गिरावट आई। इसके अलावा सोयाबीन के नये फसल की मंडियों में आवक शुरु होने से भी कीमतों में गिरावट आई है। बिनौला की भी नयी फसल आ गयी है जिससे इसमें गिरावट आई।

हालांकि सूत्रों ने कहा कि विदेशी बाजारों में आई गिरावट के अनुपात में स्थानीय स्तर पर खाद्य तेलों के भाव नहीं टूटे हैं। इसकी वजह यह है कि सरकार ने एक निश्चित मात्रा (सालाना 20-20 लाख टन सूरजमुखी और सोयाबीन तेल) में शुल्क-मुक्त आयात की छूट दी हुई है जिसके बाद होने वाले आयात पर आयातकों को सात रुपये प्रति किलो के हिसाब से शुल्क अदा करना होगा। लेकिन कोटा वाले सस्ते आयातित तेल के मुकाबले बाकी आयातित तेलों के महंगा और गैर-प्रतिस्पर्धी होने के कारण आयातक नये सौदे नहीं खरीद रहे हैं। इस वजह से खाद्य तेलों में कम आपूर्ति (शॉर्ट सप्लाई) की स्थिति पैदा हुई है। इस वजह से देश की मंडियों में खाद्यतेल कीमतों में उतनी गिरावट नहीं आई है जितना विदेशों में खाद्यतेलों में गिरावट आई है।

सूत्रों ने कहा कि सरकार को देश में तिलहन उत्पादन बढ़ाने और आयात पर निर्भरता खत्म करने के लिए अपने इस फैसले को बदलते हुए इन आयातित तेलों पर फिर से 20-30 प्रतिशत का आयात शुल्क लगा देना चाहिये और आयात की कोटा व्यवस्था खत्म कर देनी चाहिए। इससे सरकार को राजस्व की प्राप्ति होगी, किसानों की फसल बाजार में खपेगी और आयात बढ़ने की वजह से खाद्य तेल भी सस्ते होंगे। इससे उपभोक्ताओं को भी राहत मिलेगी जो छूट के बाद भी ‘शॉर्ट सप्लाई’ के कारण पहले के मुकाबले 30-40 रुपये महंगा सूरजमुखी तेल खरीदने को विवश हैं।

उन्होंने कहा कि चार-पांच महीने पूर्व सूरजमुखी तेल का भाव लगभग 2,450 डॉलर प्रति टन था जो अब घटकर 1,300 डॉलर प्रति टन रह गया है। इसी तरह चार-पांच माह पहले पामोलीन तेल का भाव 2,150 डॉलर प्रति टन था जो अब घटकर 850 डॉलर प्रति टन रह गया है। आयातित तेलों के भाव चार-पांच माह पहले के मुकाबले लगभग आधे से भी कम रह गये हैं।

सूत्रों ने कहा कि अगर सरकार को देश में तिलहन उत्पादन नहीं बढ़ाना है तो वह समूची कोटा व्यवस्था को समाप्त करते हुए शून्य शुल्क पर खुले आयात की छूट दे दे। इससे भी स्थिति ठीक हो जाएगी।

सूत्रों ने कहा कि सरकार को सोयाबीन और सूरजमुखी (हल्के तेल) पर आयात शुल्क बढ़ाना चाहिये था लेकिन सीपीओ और पामोलीन पर मामूली वृद्धि करने से कोई फायदा नहीं होगा। इस तेल पर कम से कम 20-30 प्रतिशत का शुल्क लगाना चाहिये था।

प्रमुख तेल संगठन सोपा ने भी सरकार को आगाह किया था कि देश में पर्याप्त मात्रा में सोयाबीन की फसल है लेकिन ऐसे में आयात खोलने के बाद सोयाबीन के डीआयल्ड केक (डीओसी) का खपना भी मुश्किल होगा। सरकार को तत्काल अपने फैसले पर पुनर्विचार करते हुए आयात शुल्क लगा देना चाहिये। इस फैसले से आयात बढ़ने के बाद उपभोक्ताओं को भी सस्ते में खाद्यतेल उपलब्ध होंगे।

सूत्रों के मुताबिक, पिछले सप्ताहांत के शुक्रवार के बंद भाव के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का भाव 130 रुपये टूटकर 6,670-6,700 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल समीक्षाधीन सप्ताहांत में 340 रुपये घटकर 13,360 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। वहीं सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी तेल की कीमतें भी क्रमश: 50-50 रुपये घटकर क्रमश: 2,080-2,210 रुपये और 2,150-2,265 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुईं।

सूत्रों ने कहा कि नयी फसल की आवक शुरु होने के बीच समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज के थोक भाव क्रमश: 500 रुपये और 525 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 4,750-4,850 रुपये और 4,550-4,650 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।

समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन तेल कीमतों में भी गिरावट रही। सोयाबीन दिल्ली का थोक भाव 250 रुपये घटकर 12,100 रुपये, सोयाबीन इंदौर का भाव 350 रुपये घटकर 11,800 रुपये और सोयाबीन डीगम का भाव 200 रुपये टूटकर 10,600 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

बढ़त के आम रुख के अनुरूप समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल-तिलहनों कीमतों में भी गिरावट आई। समीक्षाधीन सप्ताहांत में मूंगफली तिलहन का भाव 120 रुपये घटकर 6,900-6,965 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पूर्व सप्ताहांत के बंद भाव के मुकाबले समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल गुजरात 350 रुपये घटकर 15,900 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ जबकि मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव 55 रुपये की गिरावट के साथ 2,640-2,810 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।

समीक्षाधीन सप्ताह में कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव 400 रुपये की गिरावट के साथ 8,000 रुपये क्विंटल रह गया। जबकि पामोलीन दिल्ली का भाव 450 रुपये घटकर 9,600 रुपये और पामोलीन कांडला का भाव 550 रुपये घटकर 8,550 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल भी 800 रुपये टूटकर 11,600 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर बंद हुआ।