पूर्णिया (बिहार) : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्व सहयोगी एवं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर शुक्रवार को तीखा हमला किया और उन पर प्रधानमंत्री पद की अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने की कोशिश में कांग्रेस एवं राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के साथ हाथ मिलाकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पीठ में छुरा घोंपने का आरोप लगाया।

उत्तर बिहार के पूर्णिया में आयोजित एक रैली में, शाह ने कहा कि कुमार और राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद की "जोड़ी" का 2024 के लोकसभा चुनावों में ‘सूपड़ा साफ’ हो जाएगा और एक साल बाद, भाजपा राज्य विधानसभा चुनाव में अपने दम पर बहुमत हासिल करेगी।

भाजपा के प्रमुख रणनीतिकार माने जाने वाले शाह बिहार में पिछले महीने राजनीतिक उठा-पटक के कारण भाजपा के सत्ता गंवाने के बाद पहली बार राज्य के दौरे पर आए हैं। उन्होंने हालांकि, कुमार की पार्टी जद (यू) के इस दावे पर कोई भी टिप्पणी करने से परहेज किया कि भाजपा ने उनकी पार्टी को ‘‘तोड़ने’’ की कोशिश की।

शाह ने आरोप लगाया, ‘‘2020 के विधानसभा चुनावों में कुमार की पार्टी द्वारा जीती गई सीटों की संख्या हमारी संख्या का लगभग आधा थी। भाजपा ने पूर्व में किये गए अपने वादे को पूरा करते हुए मुख्यमंत्री के रूप में उनका समर्थन करके बड़प्पन दिखाया। हालांकि, लोकसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही प्रधानमंत्री पद की उनकी महत्वाकांक्षा उन पर हावी हो गई और उन्होंने हमारी पीठ में छुरा घोंप दिया।’’

जद (यू) पिछले विधानसभा चुनावों में अपनी सीटों की संख्या में कमी के लिए परोक्ष रूप से भाजपा को दोषी ठहरा रही है, जब चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोक जनशक्ति पार्टी ने मुख्यमंत्री कुमार की पार्टी के उम्मीदवारों के खिलाफ भाजपा के कई बागियों को मैदान में उतार दिया था।

शाह ने सात-पार्टी सत्तारूढ़ 'महागठबंधन' का यह आशंका जताने के लिए माखौल उड़ाया भाजपा नेता की सीमांचल क्षेत्र के दो दिवसीय दौरे से उस क्षेत्र में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण हो सकता है जहां मुसलमानों की काफी संख्या है। इस महागठबंधन में तीन वामपंथी दल भी शामिल हैं।

गृह मंत्री शाह ने कहा, ‘‘नयी सरकार ने इन सीमावर्ती जिलों में भय का माहौल पैदा कर दिया है। लेकिन (प्रधानमंत्री) नरेंद्र मोदी के साथ, आपमें से किसी को भी डरने की जरूरत नहीं है। अनुच्छेद 370 को समाप्त किए जाने पर आप सभी प्रफुल्लित हैं जो भारत माता के मस्तक पर कलंक था। मैं लालू और नीतीश को चुनौती देता हूं कि वे भी इस कदम की सराहना करते हुए एक शब्द कहें।’’

भाजपा नेता शाह ने कुमार के जॉर्ज फर्नांडीस और शरद यादव जैसे सहयोगियों के साथ अस्थिर संबंधों का मुद्दा भी उठाया, इसके लिए मुख्यमंत्री की ‘‘वैचारिक प्रतिबद्धता की कमी’’ और ‘‘अपनी कुर्सी से अत्यधिक लगाव’’ को जिम्मेदार ठहराया।

उन्होंने जद (यू) नेता कुमार और राजद के बीच संबंधों को लेकर कहा, ‘‘कल, नीतीश कुमार राजद को छोड़ सकते हैं और कांग्रेस एवं वाम दल के साथ एक नया मोर्चा बना सकते हैं या वह फिर से भाजपा के साथ तालमेल का प्रयास कर सकते हैं।’’

शाह ने आरोप लगाया, ‘‘उन्होंने (कुमार) 1970 के दशक के कांग्रेस विरोधी आंदोलन में भाग लेकर राजनीति में कदम रखा था। अब, उन्होंने कांग्रेस और राजद से हाथ मिला लिया हैं। उन्होंने पिछला जनादेश नरेंद्र मोदी के नाम पर हासिल किया था, लेकिन भाजपा की पीठ में छुरा घोंप दिया जैसे उन्होंने आठ साल पहले किया था।’’

कुमार 1990 के दशक के मध्य से भाजपा के सहयोगी रहे थे और बिहार के मुख्यमंत्री बनने से पहले अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री के तौर पर कार्य किया था।

गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी को भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाये जाने के बाद उन्होंने 2013 में भाजपा से नाता तोड़ लिया था। चार साल बाद, वह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में वापस आ गए थे।

दोपहर में यहां पहुंचे शाह का रात में सटे किशनगंज में रुकने का कार्यक्रम है, जो बिहार का एकमात्र जिला है जहां 50 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम आबादी है।

रैली के अलावा, शाह प्रदेश भाजपा कोर कमेटी के साथ बैठकें करेंगे, जिसमें लगभग 20 शीर्ष नेता और विभिन्न जिला इकाइयों के पदाधिकारी शामिल हैं। शनिवार को शाह रवाना होने से पहले प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे।