देहरादून, : उत्तराखंड विधानसभा में विपक्ष के नेता यशपाल आर्य ने बुधवार को कहा कि पिछले पांच वर्षों में राज्य पर कर्ज का बोझ दोगुना हो गया है। उन्होंने सरकार को इसे बढ़ाने के बजाय कम करने के उपायों पर विचार करने की सलाह दी।

राज्य के सालाना बजट पर विधानसभा में बहस शुरू करते हुए आर्य ने कहा, “उत्तराखंड पर कर्ज का बोझ पिछले पांच वर्षों में चिंताजनक दर से बढ़ा है, जो 2016-17 में 35,000 करोड़ रुपये था और यह 2022 में दोगुना होकर 70,000 करोड़ रुपये हो गया है।”

उन्होंने कहा, “राज्य पर ऋण का बोझ 17 वर्षों में (राज्य के 2000 में निर्माण से 2017 के बीच) 35,000 करोड़ रुपये था और केवल पांच वर्षों में बढ़कर 70,000 करोड़ रुपये हो गया। यह चिंता का विषय है।”

आर्य ने चार्वाक के दर्शन का सारांश बताने के लिए संस्कृत का यह दोहा पढ़ा, “यवत जीवत सुखम जिवेत, रिनम कृत्वा घृतम पिवेत (यानी जबतक आप जीवित हैं, खुशी से रहे, कर्ज लें और घी पिएं।” उन्होंने चेताया कि यह नजरिया खतरनाक हो सकता है।

उन्होंने कहा कि राज्य को कर्ज और अन्य देनदारियों को मिलाकर फिलहाल 1.15 लाख करोड़ रुपये देने हैं, जिसका मतलब है कि 1.10 करोड़ की आबादी वाले राज्य के हर शख्स पर 95,000 रुपये का कर्ज है।

दिलचस्प है कि आर्य 2017 से 2022 के बीच भाजपा सरकार का हिस्सा थे, जब कर्ज का बोझ बढ़ा था।

आर्य अब बाजपुर से कांग्रेस विधायक हैं और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं। उन्होंने राज्य विधानसभा में बजट पेश करने से पहले मीडिया को यह बताने के लिए भी सरकार की आलोचना की कि बजट कितने का है।

उन्होंने कहा कि संसदीय प्रक्रियाओं की पवित्रता के प्रति कुछ सम्मान दिखाया जाना चाहिए।

उत्तराखंड सरकार ने मंगलवार को विधानसभा में राज्य का 65,571.49 करोड़ रुपये का वार्षिक बजट पेश किया।