लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने न्यायिक प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए प्रायोगिक परियोजना के आधार पर राज्य के 10 जिलों में एकीकृत अदालत परिसरों की व्यवस्था करने का फैसला किया है।



एक सरकारी बयान के मुताबिक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बृहस्पतिवार को एक उच्चस्तरीय बैठक में प्रस्तावित एकीकृत अदालत परिसर के प्रारूप के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश दिए ।

बयान के मुताबिक, अपराधों की अलग-अलग प्रकृति के अनुसार त्वरित न्याय के लिए अलग-अलग कानूनों से जुड़ी अदालतों की व्यवस्था है और वर्तमान में जिलों में ये अदालतें अलग-अलग जगहों से काम-काज संचालित करती हैं। इसमें कहा गया है कि अलग-अलग जगह अदालतें होने के कारण न्यायिक अधिकारियों और फरियादियों दोनों को ही दिक्कत होती है तथा सुरक्षा इंतजाम एवं प्रशासनिक व्यवस्था में भी दिक्कतें आती हैं। ऐसे में विभिन्न अदालतों के लिए एकीकृत भवन उपयोगी हो सकते हैं।

बयान के मुताबिक, न्यायिक प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए प्रायोगिक परियोजना के तौर पर महोबा, हाथरस, चंदौली, शामली, अमेठी, हापुड़, औरैया, सोनभद्र, संभल और चित्रकूट सहित 10 जिलों में एकीकृत अदालत परिसर विकसित किए जाएंगे। इसमें बताया गया कि अनुपूरक बजट के माध्यम से इस विशेष परियोजना के लिए 400 करोड़ रूपए की व्यवस्था भी की गई है।

एकीकृत परिसरों में जिला एवं अधीनस्थ न्यायालय, वाणिज्यिक न्यायालय, विविध अधिकरण, त्वरित अदालत और लोक अदालत आदि होंगे। इन परिसरों में अदालत भवन, अधिवक्ताओं के कक्ष एवं सभागार के साथ ही न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए आवासीय कॉलोनी, पार्किंग की व्यवस्था और फ़ूड प्लाजा भी होंगे।

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि अदालत परिसर का डिजाइन सरल और किफायती होना चाहिए तथा इसे इस प्रकार से बनाया जाना चाहिए कि रख-रखाव खर्च न्यूनतम हो। बयान में बताया गया कि मुख्यमंत्री ने इस बात का विशेष ध्यान रखने का निर्देश दिया कि एक अदालत की आवाज दूसरी अदालत में न जाए।

बयान के अनुसार, आदित्यनाथ ने निर्देश दिया कि अदालत कक्ष सहित पूरे परिसर की सीसीटीवी कैमरों के जरिए सतत निगरानी की जानी चाहिये।

इसमें कहा गया, ‘‘भारत में लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित न्याय तंत्र की प्राचीन परंपरा है। सभी अदालत परिसरों में एक विशिष्ट गलियारे का निर्माण कराया जाए, जहां आमजन को भारत की इन प्राचीन विशिष्टताओं से परिचित कराए जा सके। गलियारे में भारतीय संविधान की विशिष्टताओं, मूल अधिकारों, कर्तव्यों एवं विविध अनुच्छेदों का प्रभावी प्रस्तुतिकरण किया जाना चाहिए।’’

बयान में कहा गया कि अदालत परिसर में हरिशंकर, मौलश्री, कदम, सीता अशोक एवं नीम के छायादार वृक्षों का पौधारोपण किया जाना चाहिए ताकि वायु प्रदूषण को कम किया जा सके।