चेन्नई: तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि के एक बयान पर सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) ने पलटवार करते हुए कहा कि वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की भाषा बोल रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि राज्यपाल ने सोमवार को बयान दिया था कि द्रविड़ अवधारणा के तहत सभी दक्षिणी राज्य आते हैं, लेकिन विभाजनकारी राजनीति के कारण अब यह तमिल पहचान बनकर रह गया है।

द्रमुक ने राज्यपाल के इस बयान को सिरे से खारिज कर दिया है। हालांकि, विपक्षी दल ऑल इंडिया द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) ने राज्यपाल के नजरिये का समर्थन करते हुए कहा कि द्रविड़ उत्पत्ति के तहत पांच दक्षिणी राज्यों का भोगौलिक दायरा आता है, लेकिन द्रमुक अपना हित साधने के लिए इस पर राजनीति कर रही है।

राजभवन में यहां सोमवार को आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत-कनेक्टिंग इंडिया’ के उद्घाटन पर राज्यपाल ने कहा था कि भारत देश को दिया गया एक नाम है। उन्होंने कहा, ‘‘इस देश को समझने के लिए किसी व्यक्ति को पहले ‘भारत’ को समझना पड़ेगा, जिसकी हजारों वर्षों की सभ्यता हमें गौरवान्वित करती है।’’ राज्यपाल ने कहा कि केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से आकर तमिलनाडु में आकर रहने वाले लोगों को लंबे समय तक ‘पड़ोसी राज्य से आया प्रवासी’ कहा गया। उन्होंने कहा कि राजनीति ने हमें विभाजित कर दिया।

राज्यपाल ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर जब हम द्रविड़ कहते हैं, तो इसके अंतर्गत ये सभी चार राज्य भी आते हैं। राज्यपाल के बयान को खारिज करते हुए द्रमुक के वरिष्ठ नेता और पार्टी के संगठन सचिव आरएस भारथी ने ‘पीटीआई-भाषा ’से कहा कि वह (रवि) राज्यपाल की तरह व्यवहार नहीं कर रहे, बल्कि वह आरएसएस की भाषा बोल रहे हैं।

राज्यपाल के बयान का समर्थन करते हुए अन्नाद्रमुक के प्रदेश संयुक्त सचिव आरएम बाबू मुरुगावेल ने कहा कि लोगों का विस्थापन और उनका तमिलनाडु में बसना कई कारणों से हुआ। मुरुगावेल ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मैं तमिल हूं। कोई तेलुगू, कन्नड़ है या फिर केरल का है, लेकिन हम सभी द्रविड़ मूल के हैं। किसी पार्टी को मुझे मेरे मूल के बारे में याद दिलाने की जरूरत नहीं है।’’

भारतीय जनता पार्टी की तमिलनाडु इकाई के प्रमुख के. अन्नामलाई ने द्रमुक से कहा कि वह भाषा और तमिल गौरव का मुद्दा लोगों पर छोड़ दें और अपने चुनावी वादों को पूरा करने पर ध्यान दें।