रांची : झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने नाम खनन पट्टा आवंटन के मामले में अपना जवाब देने के लिए चुनाव आयोग से चार सप्ताह का समय मांगा है।

चुनाव आयोग को ‘मुख्यमंत्री पद के दुरुपयोग’ के मामले में मिली नोटिस का जवाब देने की समय सीमा के अंतिम दिन आज मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आयोग को पत्र लिखकर जवाब के लिए चार सप्ताह का और समय मांग लिया।

मुख्यमंत्री की ओर से झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रवक्ता गिरिडीह के पार्टी विधायक सुदिव्य कुमार ने आज यहां संवाददाता सम्मेलन कर यह जानकारी दी।

उन्होंने एक सवाल के जवाब में यह भी दावा किया कि मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश वीएन खरे की कानूनी सलाह भी ली है जिसमें उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा है कि इस खदान की लीज अपने नाम आवंटित कराने के इस मामले में मुख्यमंत्री के खिलाफ जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत कार्रवाई नहीं हो सकती है।

यदि चुनाव आयोग इस कानून के तहत उनके खिलाफ कोई कार्रवाई करता है तो वह पूरी तरह असंवैधानिक और गलत होगा।

इससे पूर्व आज यहां झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यालय पर कांग्रेस के साथ सत्ताधारी झामुमो ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन कर यह संदेश देने की भी कोशिश की कि राज्य सरकार पर संकट के इस काल में राज्य के दोनों प्रमुख गठबंधन सहयोगी एकजुट हैं।

कांग्रेस की ओर से इस संवाददाता सम्मेलन में पार्टी के विधायक इरफान अंसारी और पार्टी प्रवक्ता राकेश सिन्हा शामिल हुए।

इससे पूर्व इसी मामले में छह मई को अपने खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान झारखंड उच्च न्यायालय में अपने जवाब में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इसे अपने राजनीतिक विरोधियों का षड्यंत्र बताया था। सोरेन ने कहा था कि यह मामला साजिशन उन्हें बदनाम करने के लिए बनाया गया है, जबकि इसमें मुख्यमंत्री पद के दुरुपयोग का कोई मामला बनता ही नहीं है।

हालांकि झारखंड उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश की पीठ के उपलब्ध न होने से इस मामले में पूर्वनिर्धारित सुनवाई छह मई को स्थगित हो गयी थी। अब इस मामले की सुनवाई इस सप्ताह होने की संभावना है।

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उच्च न्यायालय में दाखिल अपने जवाब में आरोप लगाया था कि मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंड पीठ के समक्ष उनके खिलाफ रांची के अनगड़ा में पत्थर की खदान के लीज आवंटन मामले में दाखिल जनहित याचिका तथ्य से परे है और सिर्फ उन्हें बदनाम करने की उनके राजनीतिक विरोधियों की साजिश है।

सोरेन ने अपने जवाब में इस जनहित याचिका को जनहित याचिका की व्यवस्था का दुरुपयोग बताते हुए याचिकाकर्ता के खिलाफ सख्ती की भी अदालत से मांग की है।

अब इस मामले में उच्च न्यायालय में अगले सप्ताह सुनवाई की संभावना है। इससे पूर्व फरवरी में दाखिल इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए आठ अप्रैल को झारखंड उच्च न्यायालय ने राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को अपने नाम खनन पट्टा आवंटित कराने के मामले में नोटिस जारी किया था।

अदालत ने नोटिस में कहा था कि यह बहुत ही गंभीर मामला है। साथ ही अदालत ने मुख्यमंत्री से पूछा था कि आपने अपने पद का दुरुपयोग क्यों और कैसे किया? मामले में अदालत ने राज्य सरकार से भी जवाब मांगा है।

आठ अप्रैल को मुख्यमंत्री को खनन पट्टा आवंटित करने के मामले में झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डा रवि रंजन एवं सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने राज्य सरकार और मुख्यमंत्री को नोटिस जारी किया था।

मामले में अदालत ने राज्य सरकार से भी जवाब मांगा है। खंड पीठ ने आदेश दिया था कि मामले में अगली सुनवाई खनन मंत्री को नोटिस मिलने के बाद होगी।

इस संबंध में शिव शंकर शर्मा की ओर से उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल की गई है। आठ अप्रैल को सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता राजीव कुमार ने अदालत को बताया था कि हेमंत सोरेन खनन मंत्री हैं। उन्होंने पद का दुरुपयोग करते हुए अनगड़ा में पत्थर खनन की लीज के लिए आवेदन किया और उन्हें लीज भी आवंटित कर दी गई। यह संविधान के अनुच्छेद 191 का उल्लंघन है। इसके अनुसार लाभ के पद पर रहते हुए कोई इस तरह का व्यवसाय नहीं कर सकता है।

याचिका में कहा गया है कि ऐसा करने पर उस व्यक्ति की विधानसभा सदस्यता समाप्त किए जाने का प्रावधान है।

इस मामले में राज्य के महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कहा था कि वर्ष 2008 में उन्हें यहीं पर खनन पट्टा मिला था। वर्ष 2018 में लीज समाप्त हो गया। इसके बाद उन्होंने नवीकरण के लिए आवेदन दिया था। लेकिन शर्तों को पूरा नहीं करने पर उनका लीज नवीकरण रद्द कर दिया गया।

इसके बाद उन्होंने सितंबर 2021 में लीज के आवंटन के लिए नये सिरे से आवेदन दिया था। जिसके बाद विभाग की ओर से उन्हें लीज आवंटित कर दी गई। लेकिन जब मामला संज्ञान में आया तो फिर उन्होंने फरवरी 2022 में लीज सरेंडर कर दी।