रांची : झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शुक्रवार को मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर आरोप लगाया कि वह केन्द्रीय एजेंसियों एवं संवैधानिक संस्थाओं के माध्यम से अपने साजिशों को अंजाम देने और उनकी सरकार को अस्थिर करने में जुटी है लेकिन वह अपने इन प्रयासों में कभी सफल नहीं होगी।

झारखंड विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र में आज 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीयता तय करने और पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण के साथ राज्य में कुल 77 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था करने से जुड़े संशोधन विधेयकों के पारित किये जाने के बाद विधानसभा परिसर में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने यह आरोप लगाया।

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘भाजपा का सरकार गिराने का, विधायकों को दिग्भ्रमित करने और खरीदने का प्रयास लगातार जारी है। इसके लिए मुख्य विपक्षी पार्टी केन्द्रीय एजेंसियों और संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग कर रही है। लेकिन विपक्ष लाख प्रयास कर ले, राज्य सरकार अपने तय लक्ष्य हासिल कर के रहेगी।’’

सोरेन ने कहा, ‘‘आज का दिन राज्य की जनता के लिए ऐतिहासिक दिन है क्योंकि विधानसभा ने जनहित में दो ऐतिहासिक विधेयक पारित किये।’’

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘विपक्ष को लगता है कि उन्हें जेल भेजकर, केन्द्रीय एजेंसियों का उपयोग कर उन्हें दबा देंगे। (सोरेन) सरकार के लिए मौजूदा रोड़ा भी भाजपा ने ही खड़ा किया है लेकिन उससे हम और मजबूत हुए हैं।’’

इससे पूर्व विधानसभा ने आज एक दिवसीय विशेष सत्र में 1932 के खतियान के आधार पर ही राज्य में स्थानीयता की नीति तय करने का विधेयक और पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ा कर 27 प्रतिशत करने के फैसले के साथ विभिन्न वर्गों के लिए कुल 77 प्रतिशत सरकारी नौकरियां आरक्षित करने का संशोधन विधेयक ध्वनिमत से पारित कर दिया। इसके विधानसभा की बैठक अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया।

विधानसभा का एक दिवसीय विशेष सत्र प्रारंभ होते ही मुख्य विपक्षी भारतीय जनता पार्टी की ओर से भानु प्रताप शाही ने सदन में घोषणा कर दी कि आज पेश किये जा रहे दोनों विधेयकों का भाजपा समर्थन करती है।

राज्य मंत्रिमंडल ने 14 सितंबर को एक बैठक में 1932 की खतियान के आधार पर ही राज्य में स्थानीयता की नीति तय करने और पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ा कर 27 प्रतिशत करने के साथ विभिन्न वर्गों के लिए कुल 77 प्रतिशत सरकारी नौकरियां आरक्षित करने के अहम फैसले किये थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नया राज्य बनते ही तत्कालीन भाजपा सरकार ने पिछड़ों से उनका 27 प्रतिशत आरक्षण का हक छीन लिया था जो उन्हें आज उनकी सरकार ने वापस दिलाया है।

उन्होंने दावा किया कि उनकी सरकार की स्थिरता को लेकर विपक्षी राज्य के माहौल को दूषित कर रहे हैं जिससे अनेक वर्गों में आशंका है कि उनकी सरकार अब गयी कि तब गयी लेकिन वह आश्वस्त करना चाहते हैं कि उनकी सरकार को कोई खतरा नहीं है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने दोनों विधेयकों को विधानसभा से पारित होने और राज्यपाल की स्वीकृति के बाद केन्द्र सरकार के पास भेजने का भी निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने केन्द्र से यह अनुरोध करने का निर्णय लिया गया कि वह इन दोनों कानूनों को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करे जिससे इन्हें देश की किसी अदालत में चुनौती न दिया जा सके।

स्थानीयता की नीति में संशोधन के लिए पारित विधेयक का नाम ‘झारखंड के स्थानीय निवासी की परिभाषा एवं पहचान हेतु झारखंड के स्थानीय व्यक्तियों की परिभाषा एवं परिणामी सामाजिक, सांस्कृतिक एवं अन्य लाभों को ऐसे स्थानीय व्यक्तियों तक विस्तारित करने के लिए विधेयक 2022’ है।

इस विधेयक के माध्यम से राज्य में स्थानीय नागरिक को परिभाषित किया गया है। उसके अनुसार अब राज्य में 1932 के खतियान में जिसका अथवा जिसके पूर्वजों का नाम दर्ज होगा उन्हें ही यहां का स्थानीय नागरिक माना जायेगा। जिसके पास अपनी भूमि या संपत्ति नहीं होगी उन्हें 1932 से पहले का राज्य का नागरिक होने का प्रमाण अपनी ग्राम सभा से प्राप्त करना होगा।

दूसरे विधेयक में झारखंड में विभिन्न वर्गों के लिए कुल मिलाकर आरक्षण 77 प्रतिशत तक बढ़ा दिया गया है। विधानसभा में ‘झारखंड पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षणर :अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजातियों एवं पिछड़े वर्गों के लिएः अधिनियम 2001 में संशोधन हेतु विधेयक 2022’ पारित किया गया जिसमें अनुसूचित जातियों के लिए राज्य की नौकरियों में 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत, अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण प्रतिशत 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 28 प्रतिशत और पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण प्रतिशत 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने की व्यवस्था है।

इतना ही नहीं, इस विधेयक के माध्यम से राज्य में आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लिए भी दस प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गयी है।

पिछड़े वर्गों में अत्यंत पिछड़ों के लिए 15 प्रतिशत और पिछड़ों के लिए 12 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था किये जाने का निर्णय लिया गया है।

इससे पूर्व झारखंड की रघुवर दास सरकार ने स्थानीयता नीति तय करते हुए वर्ष 2016 में 1985 को राज्य की स्थानीयता तय करने के लिए विभाजक वर्ष माना था, जिसके खिलाफ झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बड़ा विरोध प्रदर्शन किया था।