मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा कि वित्तीय सेवाएं देने वाली बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियां वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम पैदा करती हैं।

इसका कारण वित्तीय संस्थानों के साथ उनके जटिल आपसी संबंध हैं जो आर्थिक संकट पैदा कर सकते हैं और इसका परिणाम प्रतिस्पर्धा-रोधी प्रभाव के रूप में भी सामने आ सकता है।

केंद्रीय बैंक ने अपनी 25वीं वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर) में कहा कि फिनटेक (वित्तीय प्रौद्योगिकी) के आने से बैंकिंग प्रणाली को नए जोखिमों का पता चला है, जो डेटा गोपनीयता, साइबर सुरक्षा, उपभोक्ता संरक्षण, प्रतिस्पर्धा और धन शोधन रोधी नीतियों के अनुपालन से संबंधित अन्य सार्वजनिक नीति उद्देश्यों से टकराते हैं।

फिनटेक ऐसी वित्तीय कंपनियों को कहते हैं, जो प्रौद्योगिकी पर काफी अधिक आश्रित होती हैं।

रिपोर्ट में कहा गया कि बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियां तेजी से बढ़ सकती हैं और वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम पैदा कर सकती हैं, जो मौजूदा संस्थानों के बढ़ते विघटन से पैदा हो सकती है।

बृहस्पतिवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियां और वित्तीय संस्थानों के बीच जटिल संबंधों के कारण प्रतिस्पर्धा-रोधी प्रभाव देखने को मिल सकता है।

नियामकों को नवाचार को बढ़ावा देने और वित्तीय स्थिरता के जोखिमों का प्रबंधन करने के बीच एक चुनौतीपूर्ण संतुलन बनाना पड़ता है।

रिपोर्ट में नियामकों, फिनटेक उद्योग और शिक्षाविदों जैसे हितधारकों के बीच अधिक विमर्श की जरूरत पर जोर देते हुए कहा गया कि बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों के प्रवेश से जोखिमों और लाभों के बीच संतुलन बनाने की जरूरत है।