नयी दिल्ली: शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने बुधवार को कहा कि देश में आधारभूत ढांचे के विकास एवं वैश्विक स्तर पर बहुविध ज्ञान तंत्र बनाने की जरूरत को देखते हुए परिवहन के क्षेत्र में एक केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है ।

प्रधान ने कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों के सदस्यों के शोर शराबे के बीच लोकसभा में ‘केंद्रीय विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक, 2022’ को चर्चा एवं पारित करने के लिए रखा जिसमें राष्ट्रीय रेल और परिवहन संस्थान को गतिशक्ति विश्वविद्यालय में परिवर्तित करने का प्रावधान है।

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि देश में जिस प्रकार से अवसंरचना का विकास हो रहा है तथा बहुविध अधारभूत ढांचे की रूपरेखा बन रही है, उसके लिए उपयुक्त मानव संसाधन की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने वैश्विक स्तर का बहुविध ज्ञान तंत्र बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया है जिसके तहत एक केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने की योजना है।

प्रधान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गतिशक्ति की परिकल्पना के तहत इसमें परिवहन के सारे विभाग रेलवे, सड़क, जलमार्ग, विमानन और पत्तन के साथ सूचना प्रौद्योगिकी, दूरसंचार को एक मंच पर लाने की योजना को क्रियान्वित किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय रेल और परिवहन संस्थान के रूप में एक डीम्ड-टू-बी विश्वविद्यालय चल रहा है, जिसे रेलवे की अगुवाई में वैश्विक स्तर के गतिशक्ति विश्वविद्यालय का रूप प्रदान किया जाएगा।

इस दौरान कांग्रेस और विपक्ष के सदस्य विभिन्न मांगों को लेकर शोर-शराबा कर रहे थे। हंगामे के बीच ही विधेयक पर चर्चा शुरू हुई। तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने चर्चा के दौरान सदन से वाकआउट किया।

चर्चा की शुरूआत करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सांसद रंजनाबेन भट्ट ने कहा कि रेलवे की जटिल प्रणाली के कुशल संचालन के लिए तकनीकी रूप से शिक्षित और कुशल युवाओं की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि समय की जरूरत है कि ये युवा पाठ्यक्रम पूरा करने के साथ ही ट्रेन संचालन की बारीकियों को जान जाएं और तत्काल काम पर लग जाएं।

रंजनाबेन ने कहा कि दुनियाभर में अमेरिका, जापान, रूस, ब्रिटेन और चीन जैसे अनेक देशों ने ऐसे विश्वविद्यालय स्थापित किये हैं जिनमें अनुसंधान और अध्ययन होता है।

उन्होंने कहा कि गतिशक्ति विश्वविद्यालय का दर्जा मिलने से वड़ोदरा स्थित राष्ट्रीय रेल और परिवहन संस्थान का स्तर बढ़ेगा और पूरे देश के युवाओं को इसका लाभ मिलेगा।

वहीं, जनता दल (यूनाइटेड) के कौशलेंद्र कुमार ने कहा कि यह विश्वविद्यालय रेलवे के साथ ही जलमार्गों एवं अन्य परिवहन के लिए भी सहायक सिद्ध होगा।

उन्होंने बिहार में मानित विश्वविद्यालय नव नालंदा महाविहार तथा पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिये जाने की मांग सरकार से की।

चर्चा में हिस्सा लेते हुए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की संगीता आजाद ने कहा कि डिप्लोमा और इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले अभ्यर्थियों को इस तरह के संस्थानों के माध्यम से विशेष पाठयक्रम उपलब्ध कराकर रोजगार के अवसर मुहैया कराये जाने चाहिए।

उन्होंने कहा कि देश में परिवहन के अलावा कौशल विकास और इलेक्ट्रॉनिकी समेत अनेक क्षेत्रों में ऐसे विश्वविद्यालयों की आवश्यकता है।

आजाद ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रोफेसरों की नियुक्ति में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने के नियमों का पालन नहीं होने का आरोप लगाते हुए सरकार से इस ओर भी ध्यान देने की मांग की।

गौरतलब है कि विधेयक के माध्यम से केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 2009 में संशोधन का प्रस्ताव है।

विश्वविद्यालय का नाम सरकार के 100 लाख करोड़ रुपये के महत्वाकांक्षी पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के नाम पर किया जाना है।

इस मास्टर प्लान के तहत अवसंरचना संपर्क परियोजनाओं की एकीकृत योजना तथा उनके समन्वित क्रियान्वयन के लिए सड़क परिवहन और रेलवे समेत 16 मंत्रालयों को एक मंच पर लाना है। जारी